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लोगों की आस्था का प्रतीक ऊना ज़िला का बाबा बड़भाग सिंह मैड़ी मेला शुरू

Published ByAnkita Date Feb 28, 2023

HNN/ ऊना/वीरेंद्र बन्याल

उत्तर भारत में सुविख्यात बाबा बड़भाग सिंह की तपोस्थली मैड़ी में लोगों की आस्था का प्रतीक सुप्रसिद्ध मैड़ी मेला/ होला मुहल्ला मेला इस वर्ष 27 फरवरी से 10 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है। प्रेतात्माओं से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध इस मेले में लाखों की तादाद में बाहरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली इत्यादि से श्रद्धालु आते हैं। इस मेले से सम्बन्धित कई लोक मान्यताएं प्रचलित हैं। कहते हैं कि यह पवित्र स्थान सोढी संत बाबा बड़भाग सिंह (1716-1762) की तपोस्थली है।

300 वर्ष पूर्व बाबा राम सिंह के सुपुत्र संत बाबा वड़भाग सिंह करतारपुर पंजाब से आकर यहां बसे थे। अहमद शाह अब्दाली के 13वें हमले से क्षुब्ध होकर बाबा जी को मजबूरन करतारपुर छोड़कर पहाड़ों की ओर जाना पड़ा। जब बाबा जी नैहरी गांव के समीप दर्शनी खड्ड के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि अब्दाली की अफगान फौजें उनका पीछा करते हुए उनके काफी नजदीक आ गई हैं। इस पर बाबा जी ने अपनी आध्यात्मिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए अफगान फौज को वापिस खदेड़ दिया।

बाबाजी ने कहा कि वह इस शर्त पर रात्रि को आकर ठहरा करेंगे कि वह इस रहस्य को छिपाकर रखेंगी और कहा कि वह अपने घर में हर रोज़ गोबर का लेपन करेगी और जब तक लेपन सूखेगा नहीं तब तक वह उनके पास ही ठहरेंगे। यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। लेकिन उनकी पत्नी इस रहस्य को ज्यादा दिन तक छिपा नहीं पाई। एक दिन गर्मियों के मौसम में उसने गोबर में कोई तरल पदार्थ को मिला कर लेपन किया।

उस रोज़ बाबाजी काफी समय तक अपनी पत्नी संग रहे। जब प्रातः तक गोबर नहीं सूखा तो इस रहस्य का पता चल गया। फिर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि यह उसने बहुत गलत कार्य किया है, अब वह रात को कभी नहीं आया करेंगे। वह बहुत दुःखी हुईं तथा इस बात के लिए बाबाजी से क्षमा प्रार्थना भी की। तब बाबाजी ने हर वर्ष होली के दिन पत्नी के साथ रहने का वादा किया। तब से लेकर आज तक होली के दिन बाबाजी मैड़ी में निवास करते हैं और प्रेतात्माओं से सताए हुए लोगों को प्रेतात्माओं से मुक्ति दिलाते हैं।

बाबाजी उसी रात मंजी पर अकेले लेटकर उस पिशाच का इंतजार करने लगे। आधी रात होने पर पिशाच उन्हें डराने लगा। कभी प्रकट होता तो कभी अदृश्य हो जाता, तो कभी बाबाजी के साथ छेड़खानी करता। बाबाजी ने उसे शक्ति परीक्षण के ललकारा तो पिशाच अपनी मायावी शक्तियों से बाबाजी को मंजी सहित उठाने का प्रयास करने लगा। लेकिन वह सफल न हो पाया। अंत में पिशाच को बाबाजी की असीम दिव्य शक्तियों का आभास हो गया और उसने बाबाजी के समक्ष समर्पण कर दिया।

बाबाजी ने उसको कल्याण कर उसे सद्मार्ग अपनाने को कहा। वर्तमान में मंजी साहिब मुख्य डेरा से थोड़ा हटकर दक्षिण की ओर है, जहां पर मुख्य रूप से मानसिक रोगी चमत्कारिक ढंग से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं। होली के दिन यहां झंडा निशान साहिब चढ़ाया जाता है। इस गुरूद्वारे में अनेकों श्रद्धालु माथा टेकने के लिए समूचे उत्तर भारत-पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से आते हैं।

मैड़ी मेला में आने वाले श्रद्धालु बाबा बड़भाग सिंह व चरणगंगा के बाद दो अन्य धार्मिक स्थलों कुज्जासर तथा वीर नाहर सिंह में माथा टेकते हैं तथा होली की रात को डेरा बाबा बड़भाग सिंह में प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत अपने-अपने गंतव्यों की ओर प्रस्थान कर जाते हैं।

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