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रिटायरमेंट के मुहाने पर भी अडिग निष्ठा : जब एक बेलदार ने बचाई सड़क और पेश की मानवीयता की मिसाल

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ददाहू के राघवानंद : ‘ड्यूटी’ से कहीं ऊपर, ‘नैतिकता’ को चुना

ददाहू

जहाँ अक्सर सरकारी नौकरी में लोग सेवानिवृत्ति से पहले सिर्फ अपने बचे हुए दिनों का हिसाब लगाते हैं, वहीं लोक निर्माण विभाग (PWD) उप-मंडल ददाहू के बेलदार राघवानंद एक ऐसी कहानी गढ़ रहे हैं, जो हर किसी को सोचने पर मजबूर करती है। मथानन, नेहर सवां के निवासी राघवानंद, जिनकी सेवानिवृत्ति में अब बस दो-तीन महीने ही बचे हैं, अपनी कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण की ऐसी अद्भुत मिसाल बन गए हैं, जो ‘ड्यूटी’ शब्द की परिभाषा से कहीं आगे निकल जाती है।


बरसात में जब संकट में आई सड़क, राघवानंद ने संभाली कमान

हाल ही में हुई मूसलधार बारिश ने ददाहू की एक सड़क को संकट में डाल दिया था। सड़क के नीचे की एक पुलिया मलबे से पूरी तरह भर गई, जिससे पानी सड़क के ऊपर से बहने लगा। खतरा साफ था — अगर तुरंत कुछ न किया जाता, तो सड़क गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती थी, और बगल का डंगा भी ढह सकता था। ऐसे में, जहाँ सरकारी प्रक्रियाओं और टीम के इंतजार में महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो सकता था, राघवानंद ने एक पल की भी देरी नहीं की।

उन्होंने अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए अकेले ही मोर्चा संभाला। बिना किसी आदेश का इंतजार किए, उन्होंने अपने हाथों से अथक प्रयास कर मलबे से भरी उस पुलिया को साफ किया। उनकी इस तत्परता ने न सिर्फ सड़क को भारी नुकसान से बचाया, बल्कि यह भी दिखाया कि जब काम के प्रति सच्ची लगन हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। यह घटना उन सभी के लिए एक तमाचा है जो विभाग का खाते हैं, मगर उनकी निष्ठा सिर्फ महीने की पगार तक सिमटी रहती है।

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जब धीड़ा-मोरियो सड़क के लिए रात-दिन एक किया और मिला विधायक का सम्मान

राघवानंद के लिए यह कोई पहली बार नहीं था कि उन्होंने अपनी ड्यूटी को इतना बड़ा महत्व दिया हो। कुछ समय पहले, धीड़ा-मोरियो सड़क के उद्घाटन से महज छह दिन पहले की बात है। सड़क निर्माण में कई कमियाँ रह गई थीं और इतनी जल्दी उनका ठीक होना असंभव सा लग रहा था। लेकिन राघवानंद ने इस असंभव को संभव कर दिखाया। उन्होंने रात-दिन सड़क पर डटे रहकर उन सभी कमियों को दूर किया, यह सुनिश्चित करते हुए कि सड़क उद्घाटन के लिए पूरी तरह तैयार हो।

जिस दिन सड़क का उद्घाटन था, उस दिन जब विधायक को राघवानंद की इस असाधारण मेहनत और समर्पण के बारे में पता चला, तो वे भी भावुक हो उठे। विधायक ने न सिर्फ उनके कार्य की सराहना की, बल्कि उनकी कर्तव्यनिष्ठा और लगन के लिए सार्वजनिक रूप से उन्हें सम्मानित भी किया।


कर्तव्य और मानवीयता की जीवंत मिसाल

राघवानंद की कहानी सिर्फ एक बेलदार की मेहनत की कहानी नहीं है। यह उस निष्ठा, ईमानदारी और मानवीयता की कहानी है जो धीरे-धीरे कहीं गुम होती जा रही है। उन्होंने दिखा दिया है कि उम्र या पद नहीं, बल्कि अपने काम के प्रति सच्चा समर्पण ही व्यक्ति को महान बनाता है। राघवानंद न सिर्फ लोक निर्माण विभाग के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक जीवंत प्रेरणास्रोत बन गए हैं। वे यह सिखाते हैं कि जिम्मेदारी सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि एक भावना है जो हमें बेहतर इंसान बनाती है।


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