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राज्यपाल ने विधानसभा की अमूल्य परम्परा को आगे बढ़ाने का किया आग्रह

SAPNA THAKUR | 19 नवंबर 2021 at 11:18 am

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HNN/ शिमला

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पीठासीन अधिकारियों के 82वें सम्मेलन के समापन सत्र में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि वाद-विवाद और संवाद हमारी समृद्ध परम्परा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है और हमें इस परम्परा को देश की विधानसभाओं में स्थापित करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है जब हम सब यहां एकत्र हुए हैं और हमारा प्रयास होना चाहिए कि इन दो दिनों के दौरान यहां जो भी विचार-विमर्श और संकल्प हुए हैं, उन्हें साझा करें। आर्लेकर ने कहा कि हर राज्य की अलग-अलग समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन उनका समाधान उस क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुकूल संभव है।

लेकिन, विधानसभा या विधान परिषद् एक ऐसी जगह है जहां सार्थक चर्चा होती है और प्रत्येक सदस्य को अपनी समस्या रखने और बोलने का अवसर देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की परम्परा ऐसी है कि इसमें हरेक की राय ली जानी चाहिए। उन्होंने ऋग्वेद का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे पास हर तरफ से मूल्यवान विचार आने चाहिए और विधानसभा एक ऐसा ही स्थल है। विधानसभा अध्यक्ष को सभी सदस्यों को बोलने का अवसर देना चाहिए और यह हमारी परम्परा भी रही है। आर्लेकर ने कहा कि हमारा लोकतंत्र केवल 100 वर्षों का नहीं है। स्मृतियों में उल्लेख है कि देश और राज्य को चलाने के लिए कमेटियों का गठन किया जाता रहा है और उस समय भी असेंबली शब्द का प्रयोग होता था।

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उन्होंने कहा कि राजा भी उन समितियों की बात सुनने के लिए बाध्य होता था। राज्यपाल ने कहा कि हमने बहस, विवाद, चर्चा की अवधारणा को नजरअंदाज नहीं किया जैसी कि परम्परा हमारे पूर्वजों ने स्थापित की थी। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक परम्पराएं हमारे लिए नई नहीं हैं, वे स्वाभाविक विचार हैं और हमें इन परंपराओं को स्थापित करने की जरूरत है। पीठासीन अधिकारियों को नवीनतम तकनीक की जानकारी की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि जब वे गोवा विधानसभा के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने इसे कागजरहित विधानसभा बनाया। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा एक राष्ट्र एक विधान मंच की स्थापना का भी समर्थन किया और कहा कि इस मंच के माध्यम से हम अपने राज्यों के अच्छे आचरण को दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि जब हम स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष मनाएंगे, तो हम नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यहां आने वाले सभी सदस्य हिमाचल की सुखद यात्रा और इस क्षेत्र की अविस्मरणीय यादें भी ले जाएंगे। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में लोकतंत्र की मजबूती के लिए कई संकल्प और निर्णय लिए गए हैं, जो विधानसभाओं के कामकाज में व्यापक परिवर्तन लाने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी का पूर्ण उपयोग कर एक राष्ट्र एक विधान मंच के संकल्प को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा और वर्ष 2022 तक इसे साकार कर लिया जाएगा।

उन्होंने संसदीय समितियों को अधिक प्रभावी बनाने पर भी बल दिया और पीठासीन अधिकारियों को वर्ष में एक बार समितियों की समीक्षा करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन का संकल्प सभा में सार्थक चर्चा करना और इसे लोगों के प्रति जवाबदेह बनाना है। बिड़ला ने कहा कि सदन में अनुशासनहीनता को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है और इस दिशा में पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी अधिक है, जिन्हें सदन में मान-प्रतिष्ठा बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने सदन में अधिक चर्चा पर बल देते हुए कहा कि हर समस्या का समाधान बहस से किया जा सकता है। उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि नियम और प्रक्रियाएं बनाते समय आमजन को केन्द्र में रखा जाना चाहिए। 

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा युवा कार्य एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने विधानसभाओं में प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के बेहतर उपयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा, शोध होगा तो गुणात्मक चर्चा भी होगी। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी किसी दल विशेष के नहीं होते और उन्हें युवा प्रतिनिधियों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष अवसर देने चाहिए। उन्होंने हमारी समृद्ध लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चर्चा को और बेहतर बनाने पर बल दिया और पीठासीन अधिकारियों को राजधानी शिमला के ऐतिहासिक पहलुओं से भी अवगत करवाया।

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