हिमाचल प्रदेश के राजगढ़ में अंतरराष्ट्रीय स्तर की पैराग्लाइडिंग साइट सेर जगास आज भी विकास से कोसों दूर है। एक दशक से अधिक समय बीतने के बाद भी यहां आवश्यक आधारभूत सुविधाएं नहीं बनाई गईं और सरकार की अनदेखी से यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है।
राजगढ़
बीड़-बिलिंग के बाद सबसे उपयुक्त साइट
पर्यटन एवं उड्डयन विभाग ने सेर जगास को बीड़-बिलिंग के बाद राज्य की सबसे उपयुक्त पैराग्लाइडिंग साइट बताया था। यहां का प्राकृतिक ढलान और पायलटों के लिए आसान टेकऑफ-लैंडिंग की सुविधा इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाती है। 2000 के दशक में यहां एक साहसी महिला पायलट ने उड़ान भरकर इस जगह को प्रमाणित किया था।
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बजट स्वीकृति के बावजूद काम अधूरा
लगभग सात साल पहले ‘नई राहें-नई मंजिलें’ योजना के तहत इस साइट को विकसित करने के लिए 2 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था। लोक निर्माण विभाग ने ढाई किलोमीटर की पक्की सड़क बना दी, लेकिन कैफेटेरिया, चेंजिंग रूम और लैंड-स्केपिंग जैसी अन्य सुविधाओं के लिए अब तक फंड जारी नहीं हुआ।
कृत्रिम झील का बजट भी नहीं हुआ इस्तेमाल
करगानू में कृत्रिम झील का प्रोजेक्ट रद्द होने के बाद उसका 2.5 करोड़ रुपये का बजट इस पैराग्लाइडिंग साइट के लिए आवंटित किया गया था। लेकिन पर्यटन विभाग की लापरवाही के कारण यह राशि अब तक फाइलों में पड़ी है और कार्य शुरू नहीं हो सका है।
पर्यटन विकास और रोजगार पर असर
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि यह साइट विकसित हो जाती तो राजगढ़ का नाम अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर दर्ज होता और सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिलता। लेकिन विभागीय उदासीनता से यह सपना साकार नहीं हो पाया।
जिम्मेदारी से बचते अधिकारी
जब इस मामले में जिला पर्यटन विकास अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने परियोजना की जानकारी न होने की बात कही, जिससे स्पष्ट है कि इस प्रोजेक्ट को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
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