भारतीय सोच की परिचायक है नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-राज्यपाल

HNN / शिमला

राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) भारतीय विचारों, संस्कृति, इतिहास और मूल्यों पर केंद्रित है, जिसमें हम सभी को योगदान देना है ताकि देश खुद को विश्व नेता के रूप में पुनःस्थापित कर सके। राज्यपाल ने धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित शिक्षा का भारतीय स्वरूप पर आयोजित गोष्ठी में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें सही रास्ता पता होना चाहिए, जिसमें हमें आगे बढ़ना है क्योंकि भारतीय विचारधारा ने हमें दुनिया में एक अलग पहचान दी है।

उन्होंने कन्या पूजन और अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का उदाहरण देते हुए कहा कि यह सोच हमें औपचारिकता से ज्यादा वास्तविकता की ओर ले जाती है। आर्लेकर ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमें हमारी संस्कृति, परंपरा और जमीन से नहीं जोड़ पाई है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमें कृषि कार्य करने में सहायक नहीं है, बल्कि हमें केवल नौकरी उन्मुखी है। इसलिए आज हमें यह तय करने की आवश्यकता है कि हम नौकरी प्रदाता बनना चाहते हैं या नौकरी तलाशने वाले। 

राज्यपाल ने कहा मैकाले की गुलाम शिक्षा नीति से बाहर निकलने में केवल नई शिक्षा नीति हमारी सहायता कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस नीति में शिक्षण संस्थानों के विकास के साथ-साथ हमारी संस्कृति और भाषा को प्रोत्साहित करने का भी प्रावधान है। राज्यपाल ने कहा कि हमें वर्ष 1947 में राजनीतिक आजादी मिली लेकिन अंग्रेजों द्वारा पैदा की गई मानसिकता से मुक्त नहीं हो सके। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आगे बढ़ाने में हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि देश के अन्य विश्वविद्यालय उनकी इस पहल का अनुसरण करेंगे। 


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