Himachalnow / हमीरपुर
जेई (सिविल) भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी, आयोग के कर्मचारियों और अभ्यर्थियों पर शक
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में एक और पेपर लीक मामला उजागर
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में हुए भर्ती घोटाले की जांच कर रही स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक और एफआईआर दर्ज की है। यह मामला जूनियर इंजीनियर (सिविल) पोस्ट कोड 826 से जुड़ा है, जिसमें भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के ठोस प्रमाण मिले हैं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि परीक्षा में पेपर लीक किया गया था या ओएमआर शीट में छेड़छाड़ हुई थी।
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भर्ती प्रक्रिया और सामने आए गड़बड़ी के प्रमाण
जूनियर इंजीनियर (सिविल) के 39 पदों के लिए सितंबर 2020 में आवेदन मांगे गए थे। इस भर्ती के लिए 10,529 उम्मीदवारों ने आवेदन किया, जिनमें से 9,301 आवेदन सही पाए गए। 11 अप्रैल 2021 को हुई लिखित परीक्षा में 5,632 अभ्यर्थियों ने भाग लिया, लेकिन केवल 121 उम्मीदवार ही सफल हो सके। इसके बाद 8 सितंबर 2021 को 15 अंकों की मूल्यांकन परीक्षा आयोजित की गई थी।
अब इस परीक्षा से संबंधित गड़बड़ी के प्रमाण मिलने के बाद विजिलेंस ने 16वीं एफआईआर दर्ज की है। पेपर लीक मामले में अब तक तीन दर्जन से अधिक लोग नामजद किए जा चुके हैं, जिनमें आयोग के सचिव, वरिष्ठ सहायक, चपरासी, ड्राइवर और कुछ अभ्यर्थी भी शामिल हैं।
विधानसभा सत्र के चलते विजिलेंस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं
प्रदेश में चल रहे विधानसभा सत्र के कारण विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने इस नए मामले पर कोई आधिकारिक टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। इस मामले में अब तक कितने लोगों की गिरफ्तारी हुई है और कौन-कौन इसमें संलिप्त है, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।
लंबे समय से चल रहा था पेपर लीक रैकेट
पेपर लीक का यह खेल लंबे समय से चल रहा था, इसकी संभावना को नकारा नहीं जा सकता। 2020 में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी और 2021 में परिणाम घोषित हुआ, लेकिन विजिलेंस को अब जाकर परीक्षा में गड़बड़ी के पुख्ता सबूत मिले हैं। इससे पहले भी कई भर्ती परीक्षाओं में हेरफेर के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
पहली एफआईआर और अन्य लंबित मामले
पेपर लीक कांड की पहली एफआईआर जेओए (आईटी) पोस्ट कोड 965 की परीक्षा से जुड़ी थी, जो 25 दिसंबर 2022 को आयोजित होने वाली थी। यह परीक्षा दो दिन पहले ही लीक हो गई थी, जिसके बाद विजिलेंस ने कार्रवाई करते हुए पहला मामला दर्ज किया था। अब तक पेपर लीक घोटाले में 16 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, और कोर्ट में पहली एफआईआर का चालान भी पेश किया जा चुका है।
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