बोले सुक्खू सरकार कर रही है लोकतंत्र की हत्या
हिमाचल नाऊ न्यूज़ शिमला।
हिमाचल प्रदेश भाजपा प्रवक्ता विनय गुप्ता ने पंचायती राज चुनाव टालने के लिए सुक्खू सरकार द्वारा अपनाए जा रहे तरीकों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल के फैसले को ‘तुगलकी फैसला’ बताते हुए लोकतंत्र की सरासर हत्या करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नई पंचायतों के गठन का बहाना बनाकर पंचायती राज चुनाव टालने का नया जरिया ढूंढा जा रहा है।
आपदा का बहाना और अधिनियम से खिलवाड़:
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विनय गुप्ता ने पुरानी घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि इससे पहले भी सरकार ने प्रदेश में आई आपदा को आधार बनाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अनेक जिलों के उपायुक्तों से पत्र लिखवाकर प्रस्ताव भिजवाए कि सड़कों की दुर्दशा और बरसात की आपदा के कारण पंचायती राज चुनाव करवाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी संदर्भ में मुख्य सचिव से आपदा प्रबंधन परिस्थितियों का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित करने का नोटिफिकेशन भी जारी करवाया गया था।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह विरोधाभास साफ दर्शाता है कि सरकार पंचायती राज अधिनियम के साथ न केवल खिलवाड़ कर रही है, बल्कि प्रदेश के लोगों को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रही है, क्योंकि कभी पंचायती राज मंत्री समय पर चुनाव करवाने का बयान देते हैं और कभी अधिकारी चुनाव टालने के अध्यादेश जारी करते हैं।
पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप:
गुप्ता ने कहा कि जहां 73वें और 74वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने का प्रावधान किया है, वहीं यह सरकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाकर इन संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे पूरे प्रदेश में पंचायत की विकास प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिमाचल के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है, जब कोई सरकार अनेक प्रकार के बहाने बनाकर चुनाव टालने का कुप्रयास कर रही है।
अनावश्यक आर्थिक बोझ का खतरा:
विनय गुप्ता ने नई पंचायतों के गठन की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि लगभग एक वर्ष पूर्व सरकार ने प्रदेश के कोने-कोने से नई पंचायतों के गठन के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए थे, परंतु एक वर्ष के दौरान एक भी पंचायत का गठन नहीं किया गया। अब मंत्रिमंडल नई पंचायत के गठन का बहाना बनाकर चुनाव टालने का नया फंडा खड़ा कर रहे हैं।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि दिसंबर में होने वाले चुनाव के मद्देनजर मतदाता सूचियां भी संशोधित की जा चुकी हैं। अगर सरकार अब चुनाव रोकना चाहती है, तो नई पंचायतों के गठन के बाद सीमांकन, वार्डबंदी, मतदाता सूचियाँ और आरक्षण की प्रक्रिया दोबारा शुरू करनी पड़ेगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार न केवल चुनाव टालने का प्रयास कर रही है, बल्कि प्रदेश पर अनावश्यक आर्थिक बोझ भी लादने का काम कर रही है। उन्होंने अंत में कहा कि प्रदेश के लोग इस निकम्मी सरकार के ढुलमुल रवैये से परेशान हो चुके हैं और इसे शीघ्र चलता करने की इंतजार में बैठे हैं।
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