HNN/ बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला और सोलन में ही नहीं बल्कि जिला बिलासपुर में भी लोग तेंदुए के खौफ में जी रहे हैं। ऐसा ही हाल प्रदेश के कई अन्य जिलों का भी है जहां रिहायशी इलाकों में बेखौफ होकर तेंदुए घूमते नजर आ जाते हैं। बड़ी बात यह है कि यह तेंदुए लोगों और छोटे बच्चों पर हमला बोल देते हैं जिससे एक तरफ लोगों में दहशत का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों का घर से बाहर निकलना भी दूभर हो गया है।
बता दे कि जिला बिलासपुर की उपतहसील भराड़ी के तहत ग्राम पंचायत मरहाणा के गांव झंझवाणी मलोट में इन दिनों लोग तेंदुए के साए में जीने को मजबूर है। इतना ही नहीं पंचायत के आठ से 10 गांव ऐसे हैं जहां तेंदुआ आए दिन रिहायशी इलाकों में दिखाई देता है। लोगों में तेंदुए का खौफ इतना है कि वह मवेशियों को चराने और उनके लिए चारा लेने खेतों सहित जंगलों में जाते हैं तो उन्हें यही डर सताता है कि कहीं तेंदुआ उन पर हमला न कर दे।
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वही गांव के लोगों द्वारा बार-बार वन विभाग से गुहार लगाई जा रही थी कि यहां पिंजरा स्थापित किया जाए ताकि उन्हें तेंदुए के आतंक से निजात मिल सके। वहीं दूसरी ओर वन विभाग द्वारा भी तेंदुए को पकड़ने के लिए एक पिंजरा स्थापित किया गया है। ग्राम पंचायत मरहाणा के गांव झंझवाणी मलोट सहित अन्य गांवों में तेंदुए के दहाड़ने और मिलने की काफी चर्चा है।
इससे घबरा कर स्थानीय लोगों ने वन विभाग से इस क्षेत्र में तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने का आग्रह किया था। इसी के चलते वन विभाग ने पिंजरा लगाया गया है।
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