लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

डबल इंजन की सरकार नहीं दिला पाई सिरमौर को रेल

PRIYANKA THAKUR | 23 दिसंबर 2021 at 10:24 am

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

1962 में हुआ था रेलवे लाइन का सर्वे, मगर अब चुनावी जुमला बना रेल मुद्दा

HNN / नाहन

जिला सिरमौर को भले ही 1962 से लेकर आज तक मिले आश्वासनों में रेल ट्रैक ना मिला हो, मगर इस चुनावी रेल पर बैठकर सांसद दिल्ली तक जरूर पहुंचे हैं। जिला सिरमौर के दो प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र 2 राज्यों के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। बावजूद इसके डबल इंजन सरकार सिरमौर को रेल ट्रैक से जोड़ पाने में नाकाम रही है। हैरानी की बात तो यह है कि केंद्र में इस रेल ट्रैक की पैरवी करने के लिए प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले युवा मंत्री भी शामिल हैं। बावजूद इसके अनुराग ठाकुर भी जिला सिरमौर को रेल ट्रैक दिलवा पाने में नाकाम रहे हैं।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

जिला सिरमौर में केडी सुल्तानपुरी से लेकर विंदर कश्यप और सांसद सुरेश कश्यप भी काला अंब और पांवटा साहिब को रेल ट्रैक से जोड़े जाने की केंद्र में दमदार पैरवी नहीं कर पाए हैं। हालांकि प्रदेश सरकार एक बड़ी ग्राउंड सेरेमनी के साथ तीसरी इन्वेस्टर मीट भी पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में करवाने जा रही है। बावजूद इसके इन्वेस्टर्स के लिए वरदान साबित होने वाला रेल ट्रैक सरकार के एजेंडे से ही गायब है। गौरतलब हो कि 60 के दशक के दौरान पांवटा साहिब को सहारनपुर-जगाधरी रेलवे लाइन से जोड़े जाने की योजना बनाई गई थी।

वर्ष 1962 में माजरा, पांवटा साहिब, काला अंब से होते हुए बराड़ा रेलवे लाइन तक सर्वे भी हुआ था। मगर यह सर्वे आज तक सिरे नहीं चढ पाया है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि ममता बनर्जी जब रेल मंत्री थी, तब बद्दी-काला अंब, पांवटा साहिब रेल ट्रैक के लिए सर्वे हेतु 2 करोड का बजट भी मंजूर हुआ था। इससे पहले 1972 में पांवटा साहिब स्थित सीसीआई सीमेंट फैक्ट्री को ध्यान में रखते हुए रेल लाइन के लिए सर्वे की बात चली थी। यही नहीं हर बार होने वाले संसदीय चुनावों में सिरमौर को रेल का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाता है।

मगर आज तक सिरमौर को रेल लाइन नहीं मिल पाई है। अब यदि व्यापारिक सामरिक व अन्य दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो यह रेल ट्रैक प्रदेश के लिए वरदान साबित हो सकता है। किन्नौर, कोटगढ़, जुब्बल, चौपाल से देश की मंडियों तक जाने वाले सेब के लिए यह रेल लाइन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इसके अलावा पांवटा साहिब और काला अंब औद्योगिक हब है, जहां सबसे बड़ी समस्या ट्रांसपोर्टेशन की रहती है।

चेंबर ऑफ कॉमर्स ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन तथा लघु उद्योग भारती ने भी समय-समय पर सिरमौर को रेल लाइन से जोड़े जाने की मांग उठाई थी। इस बार के संसदीय सत्र में भी सिरमौर के लोगों को बड़ी उम्मीद थी कि सांसद सुरेश कश्यप निश्चित रूप से रेल के मुद्दे को संसद में उठाएंगे। मगर इस बार भी सिरमौर की जनता को केवल निराशा ही मिली है। अब जहां 27 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का हिमाचल में 2 घंटे का प्रवास होगा ऐसे में प्रदेश सरकार से एक बार फिर से सिरमौर को रेल की उम्मीद नजर आ रही है।

वहीं, सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिरमौर को रेल ट्रैक से जोड़ने का मुद्दा उठाया ना गया हो। उन्होंने कहा कि इस बार गिरी पार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र के दर्जे को लेकर विस्तृत चर्चा हुई है। सिरमौर को रेल मिले इसके लिए भी हमारे पूरे प्रयास जारी हैं।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें