HNN/ चंबा
जिला के किसानों को दिसंबर माह के पहले सप्ताह में आलू का बीज उपलब्ध करवाया जाएगा। यह जानकारी देते हुए उपनिदेशक कृषि डॉ. कुलदीप धीमान ने बताया कि दिसंबर और जनवरी माह में जिला चंबा के किसान अपने खेतों में आलू की बिजाई करते है। जिला चंबा में रबी मौसम में लगभग 120 हैक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती की जाती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जिला चंबा के लिए कुफरी ज्योति किसम का 1750 क्विंटल आलू का बीज मंगवाया गया है।
हिमाचल सरकार द्वारा आलू के बीज का मूल्य भी तय कर दिया गया है और कृषि निदेशालय द्वारा जिला चंबा के लिए मांग के अनुसार आलू के बीज का आवंटन भी कर दिया है। दिसम्बर महीने के पहले सप्ताह में बीज कृषि विभाग के विक्रय केन्द्रों में उपलब्ध हो जाएगा। इस वर्ष बीज सभी किसानों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर 25 प्रतिशत अनुदान पर दिया जायेगा। कुलदीप धीमान ने बताया कि रबी मौसम में आलू की खेती मुख्यता विकास खंड सलूणी, तीसा व चंबा में की जाती है।
इन विकास खण्डों के मुकाबले अन्य विकास खण्डों में आलू की खेती के अंतर्गत क्षेत्रफल कम है। रबी मौसम में जिला चंबा के विकास खंड सलूणी में सबसे अधिक लगभग 80 हेक्टर क्षेत्रफल आलू की खेती की जाती है। उन्होंने बताया कि 30 नवम्बर को बारिश हो जाने के कारण खेतों में पर्याप्त नमी भी हो गई है। अब किसान आलू की विजाई के लिए अपने खेत तैयार कर सकते हैं खेतों की जुताई करते समय प्रति बीघा में 20 क्विंटल गली सड़ी देसी खाद खेतों में डाल कर मिट्टी के साथ मिला दें।
इसके साथ अधिक पैदावार लेने के लिए 20 किलोग्राम यूरिया, 40 किलोग्राम 12:32:16 तथा 8 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति बीघा की दर से डाले। डॉ. धीमान ने बताया कि बिजाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2 फुट तथा कंद से कंद की दूरी 8 इंच रखें। इस प्रकार एक बीघा में आलू की बिजाई के लिए 2 क्विंटल बीज आलू की आवश्यकता होती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए बिजाई के एक महीने बाद आलू के खेतों की गुडाई करें और यदि बीज आलू के अंकुरण से पहले खरपतबार अधिक उग जाएँ तो खरपतवारनाशी दवाई का स्प्रे करें।