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जान हथेली पर रखकर नाहन को पानी पिला रहा IPH, बार-बार टूट रही है गिरी पेयजल योजना की लाइन

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 2 सितंबर 2025 at 5:33 pm

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धौण में भूस्खलन से मुख्य लाइन क्षतिग्रस्त, 4 दिन से स्टाफ नहीं गया घर , मुरम्मत का कार्य दिन-रात जारी

नाहन

पिछले कई दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश और जगह-जगह हो रहे भूस्खलन ने नाहन की जीवनरेखा मानी जाने वाली गिरी उठाऊ पेयजल योजना के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। इसके बावजूद, जल शक्ति विभाग (IPH) का स्टाफ अपनी जान जोखिम में डालकर शहर को पानी पिलाने में जुटा हुआ है।

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धौण गाँव के पास हुए भारी भूस्खलन ने गिरी उठाऊ पेयजल योजना की मुख्य पाइपलाइन को जगह-जगह से बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है। मीडिया टीम ने मौके पर जाकर देखा कि विभाग के कर्मचारी किस तरह जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। पिछले चार दिनों से फील्ड स्टाफ घर नहीं गया है।

एक वेल्डर लगातार तीन दिनों से भारी बारिश में पाइपलाइन की वेल्डिंग कर रहा था, जिसे तीसरे दिन सिर्फ दो घंटे सोने का मौका मिला। मंगलवार सुबह 4 बजे उसने फिर से लाइन को जोड़ने का काम शुरू कर दिया।

आपदा में भी विभाग का अथक प्रयास

धौण में लैंडस्लाइड वाली जगह पर अधिकारी और तकनीकी टीमें अस्थाई टेंट लगाकर मरम्मत कार्य में जुटे हुए हैं। अधीक्षण अभियंता राजीव महाजन ने बताया कि विभाग इस समय पूरी तरह से आपदा के बीच पेयजल की चुनौती से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि जिस जगह मुख्य लाइन टूटी हुई है, वहाँ वेल्डिंग कर लाइन ठीक कर दी जाती है, मगर लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण वह फिर से टूट जाती है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि जल्द ही पेयजल व्यवस्था को पूरी तरह बहाल कर दिया जाएगा।

राजनीति नहीं, हौसला अफजाई की जरूरत

शहर के प्रबुद्ध लोगों ने इस आपदा से बिगड़ी स्थिति में राजनेताओं से आलोचना करने की बजाय विभाग के कर्मचारियों का हौसला बढ़ाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जब नाहन में पेयजल संकट एक दशकों पुरानी समस्या थी, तब गिरी उठाऊ योजना ने इसका समाधान किया था।

यह बताना जरूरी है कि नाहन शहर को नहर-स्वार, काला अंब-खैरी और गिरी पेयजल योजना से पानी मिलता है। शहर की कुल पानी की मांग प्रतिदिन 40 लाख लीटर से अधिक है, लेकिन गिरी योजना के ठप होने से फिलहाल केवल नहर-स्वार योजना से 20 लाख लीटर पानी ही मिल पा रहा है। गिरी नदी में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिससे इस योजना के सात में से पाँच चालू ट्यूबवेल बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। जब तक नदी का जलस्तर सामान्य नहीं होता, तब तक इस योजना को पूरी तरह से शुरू नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, विभाग युद्धस्तर पर काम कर रहा है।

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