सदन के शीतकालीन सत्र के बीच धर्मशाला में भाजपा की रैली के दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार पर तीखे हमले बोले। तीन वर्ष पूरे कर चुकी सुक्खू सरकार को उन्होंने नाकाम बताते हुए कहा कि प्रदेश का हर वर्ग बदलाव के लिए आतुर है।
धर्मशाला
नेता प्रतिपक्ष का आरोप—सरकार तीन साल में एक भी नई योजना नहीं बता पाई
रैली को संबोधित करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि तीन वर्षों के कार्यकाल में सुक्खू सरकार एक भी ऐसी योजना नहीं बता पा रही जो जनता के हित में शुरू की गई हो। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने भाजपा शासनकाल की दर्जनों योजनाएं बंद कर दीं, जिससे आम लोगों, विशेषकर महिलाओं, छात्रों और जरूरतमंद परिवारों को गहरी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
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भाजपा सरकार की योजनाएं बंद करने से जनता में नाराजगी: ठाकुर
उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में लोग रोष व्यक्त कर रहे हैं कि सरकार नई योजनाएं न चलाए, यह स्वीकार है, लेकिन पुराने लाभ कम से कम बंद न किए जाएं। हिमकेयर, शगुन, कन्यादान, गृहणी सुविधा और सहारा योजना जैसे कार्यक्रमों को बंद कर देना आमजन के साथ सीधा अन्याय है।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी से लेकर भूमि आवंटन तक सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
जयराम ठाकुर ने कहा कि धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय का भवन अब तक न बन पाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर है। केंद्र द्वारा धन जारी करने और जमीन से संबंधित प्रक्रियाएं पूरी होने के बावजूद राज्य सरकार ने 30 करोड़ रुपये जमा नहीं किए। उन्होंने पालमपुर यूनिवर्सिटी की भूमि के कथित आवंटन को लेकर भी सवाल उठाए और इसे प्रदेश हितों के खिलाफ बताया।
प्रदेश के हर कोने में नाराजगी—शुल्क, कर और कर्ज बोझ का आरोप
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने जनता पर नए करों का बोझ डाला है। टॉयलेट टैक्स, बिजली-पानी शुल्क, लकड़ी पर कर और अन्य आर्थिक भार ने आम परिवारों की स्थिति कमजोर कर दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश पर कर्ज बढ़ता जा रहा है, जबकि विकास परियोजनाएं ठप पड़ी हैं।
प्रदर्शनों और जनाक्रोश का हवाला देते हुए सरकार पर बड़ा हमला
जयराम ठाकुर ने कहा कि विश्व दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगजन हों, या छात्र—सरकार ने हर वर्ग के साथ सख्ती अपनाई है, जिससे लोगों में गहरी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि “प्रदेश के कोने-कोने में सुक्खू सरकार को उखाड़ फेंकने की आवाजें उठ रही हैं।”
आपदा प्रभावित क्षेत्र में जश्न मनाने पर भी उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अपनी तीन साल की वर्षगांठ उस स्थान पर मनाना “असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा” है जहाँ अब भी कई परिवार आपदा के बाद मुश्किलों से जूझ रहे हैं।
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