खुद बनाया फ्लोरा क्यूआर कोड, कोड स्कैन करते ही मिलेगी वनस्पति की जानकारी , प्रयोग बना चर्चा का विषय
हिमाचल नाऊ न्यूज़ नाहन
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जंगला-भूड़ में विज्ञान शिक्षा को एक नया आयाम मिला है। विद्यालय के इको क्लब द्वारा ‘मिशन फोर लाइफ’ के अंतर्गत आयोजित एक विशेष गतिविधि में विज्ञान शिक्षिका के मार्गदर्शन में छात्रों ने फ्लोरा (वनस्पति) से संबंधित क्यूआर कोड बनाया गया।
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छात्रों के द्वारा इसे कैसे स्कैन किया जए यह भी सीखा गया। इस अनूठी पहल से छात्रों में तकनीक, रचनात्मकता और पर्यावरण चेतना का अद्भुत समन्वय देखने को मिला।
पर्यावरण शिक्षा को डिजिटल माध्यम से जोड़ते हुए, छात्रों द्वारा निर्मित इन क्यूआर कोड को विद्यालय परिसर में विभिन्न पौधों और वनस्पतियों के साथ टैग किया गया है। यानी कहा जा सकता है की स्कैन और कर कोड के माध्यम से वनस्पति की जानकारी मिल सकेगी।
इस सफल प्रयोग को पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सूचना को सुलभ बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम माना जा रहा है।वहीं हाल ही में ‘बैग फ्री डे’ के अवसर पर विद्यालय में छात्रों के लिए स्वास्थ्य और स्वच्छता पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें उन्हें महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
विद्यालय की प्रिंसिपल प्रिया तोमर ने बताया कि अप्रैल माह में इको क्लब की अन्य गतिविधियों में ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ का आयोजन प्रमुख रहा है। इस अवसर पर छात्रों ने भाषण, कविता पाठ, माईम और चित्रकला जैसी विविध प्रतियोगिताओं में उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिसमें उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी रचनात्मकता और जागरूकता का प्रदर्शन किया।
प्रिंसिपल प्रिया तोमर ने बताया कि इस के अतिरिक्त, इस माह ‘स्वास्थ्य और कल्याण’ के अंतर्गत ‘ग्रो हेल्दी’ विषय पर भी विस्तृत जानकारी छात्रों के साथ साझा की गई, जिसका उद्देश्य उन्हें स्वस्थ जीवनशैली के प्रति प्रेरित करना था।
विद्यालय की प्रधानाचार्या प्रिया तोमर ने इन सभी गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की पहल छात्रों के सर्वांगीण विकास को एक नई दिशा प्रदान करती है और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने विज्ञान शिक्षिका और इको क्लब के सदस्यों के प्रयासों की भी सराहना की।यह पहल न केवल छात्रों को नई तकनीकी कौशल सिखा रही है, बल्कि उन्हें अपने आसपास के पर्यावरण के महत्व को समझने और उसके संरक्षण के लिए प्रेरित भी कर रही है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जंगला-भूड़ में शिक्षा और पर्यावरण के इस अनूठे संगम की हर ओर प्रशंसा हो रही है। बरहाल एक बात तो तय है कि जहां शिक्षक अब शिक्षा को ड्यूटी ना समझ कर अपनी एक नैतिक जिम्मेवारी भी समझ रहे हैं यह उसी का परिणाम है कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्र का सरकारी स्कूल अभिभावकों में सरकारी शिक्षा के प्रति भरोसा दिला रहा है।
निश्चित ही वह दिन दूर नहीं होगा कि आनेे वाले समय में शहरों के बच्चे ग्रामीण क्षेत्र के स्कूूलों में अपना भविष्य सुनिश्चित करना पहली पसंद मानेंगे।
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