हिमाचल प्रदेश में एसएफआई ने अपने 56वें स्थापना दिवस पर संगठन की वैचारिक विरासत और छात्र आंदोलनों को याद किया। इस अवसर पर शिक्षा के अधिकार और सार्वजनिक शिक्षा को बचाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
शिमला
55 वर्षों की संघर्षपूर्ण विरासत को किया याद
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आज प्रदेश के विभिन्न जिलों में Students’ Federation of India ने 56वां स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रमों के दौरान संगठन ने अध्ययन, संघर्ष और बलिदान की उस विरासत को स्मरण किया, जिसमें छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करते हुए कई कार्यकर्ताओं ने अपनी जान तक न्योछावर की।
छात्र एकजुटता को तोड़ने की साजिशों पर चिंता
एसएफआई राज्य सचिव सन्नी सेकटा ने कहा कि आज संगठन ऐसे दौर में स्थापना दिवस मना रहा है, जब सांप्रदायिक ताकतें लगातार छात्रों की एकजुटता को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा के अधिकार और उसके सार्वजनिक ढांचे को बचाना छात्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर उठाए सवाल
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आड़ में शिक्षा की प्राथमिक संरचना को कमजोर कर रही है। देशभर में 90 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना, सार्वजनिक शिक्षा के निजीकरण और संप्रदायिकरण की दिशा में गंभीर संकेत है, जिससे गरीब वर्ग शिक्षा से दूर होता जा रहा है।
प्रदेश में सार्वजनिक शिक्षा की स्थिति पर आलोचना
एसएफआई राज्य अध्यक्ष अनिल ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी राज्य सरकार केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरूप काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में सार्वजनिक शिक्षा का ढांचा कमजोर हो चुका है और छात्रों को मूलभूत सुविधाएं देने में सरकार असफल साबित हो रही है।
छात्र समुदाय से एकजुट संघर्ष की अपील
एसएफआई ने अपने स्थापना दिवस पर देश और प्रदेश के समस्त छात्र समुदाय को शुभकामनाएं देते हुए अपील की कि छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ मिलकर संघर्ष किया जाए। संगठन ने स्पष्ट किया कि यदि सार्वजनिक शिक्षा को नहीं बचाया गया तो आने वाले समय में शिक्षा आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएगी।
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