HNN/ नाहन
हिमाचल प्रदेश के पहले ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण कार्य में की जा रही अवैध डंपिंग, अवैज्ञानिक खनन और जल सोत्रों को नष्ट करने के खिलाफ एनजीटी के आदेशों की, अगर डीसी सिरमौर और डीसी शिमला ने पालाना नहीं की, तो डीसी सिरमौर और डीसी शिमला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज किया जाएगा।
यह बात नाहन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए शिलाई विधानसभा क्षेत्र के समाजसेवी नाथूराम चौहान ने कही। नाथूराम चौहान ने बताया कि हाल ही में एनजीटी में सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा निर्माणधीन हिमाचल प्रदेश के पहले ग्रीन कॉरिडोर पांवटा साहिब-शिलाई मिनस मार्ग के खिलाफ एनजीटी में सुनवाई हुई।
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एनजीटी के आदेशों में डीसी सिरमौर को अवैध डंपिंग रोकने तथा पानी के जो चशमें जो नष्ट हुए हैं, उन्हें दोबारा से रिकवर करने के निर्देश दिए गए हैं। डीसी सिरमौर को इसकी प्रतिलिपि एनजीटी की ओर से मिल चुकी है। हम अपनी ओर से भी प्रतिलिपि देने जा रहे हैं। अगर डीसी सिरमौर और डीसी शिमला ने एनजीटी के आदेशों के पालना न की, तो अब इनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
नाथूराम चौहान ने बताया कि एनजीटी की सुनवाई से पहले अवैध रूप से चल रहे क्रेशर बंद कर दिए। अवैध रूप से की जा रही डंपिंग कुछ समय के लिए बंद कर दी। तो यह 3 साल से क्यों नहीं हुई। नाथूराम चौहान ने बताया कि केंद्र और प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ 22 वकीलों की फौज खड़ी की है, जो एनजीटी में उनके खिलाफ केस लड़ रही है।
कुछ समय पूर्व हाई पावर कमेटी तथा एनजीटी की टीम ने भी अवैध रूप से की जा रही डंपिंग और अवैज्ञानिक खनन की रिपोर्ट एनजीटी अदालत में सौंपी थी। जिसके बाद एसडीएम शिलाई, एसडीएम कफोटा और राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने अवैध रूप से चल रहे क्रशर बंद किए थे। तो यह क्रेशर 3 सालों में क्यों बंद नहीं हुए।
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