एचआइवी व्यक्ति एआरटी दवाइयों से बिता सकता है लंबा स्वस्थ जीवन- डॉ.निपुण जिंदल

HNN / कांगड़ा

 जिलाधीश कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल की अध्यक्षता में उपायुक्त कार्यालय के सभागार में विश्व एड्स दिवस के उपलक्ष्य पर अंतर्विभागीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए  जिलाधीश कांगड़ा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में इस वर्ष हाई लेवल समिट में 2030 तक एचआईवी एड्स के उन्मूलन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। उपायुक्त ने बताया कि आमदनी की असमानता, लैंगिक भेदभाव भी एचआईवी एड्स को प्रभावित करती हैं।

कलंक और भेदभाव इसे और भी भयावह समस्या बना देते हैं। असमानता को दूर करना एचआईवी और कोविड-19 और भविष्य की महामारियों से लड़ने के लिए आवश्यक है। जब समाज में असमानता होती है-महामारी फैलती है। उन्होंने बताया कि 40 वर्ष के एचआईवी के अनुभव से हमने बहुत कुछ सीखा है। जहां शुरू में इसे एक लाइलाज बीमारी व निश्चित मृत्यू माना था अब एआरटी दवाइयों से एचआइवी व्यक्ति लंबा स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं। उन्होंने बताया कि एचआईवी केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं बल्कि एक सामाजिक समस्या है।

एक महीने तक चलने वाले इस एचआईवी एड्स अभियान में सभी विभाग अपने-अपने कार्यक्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेंगे। एचआईवी को मुख्यधारा में लाने के लिए नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने 15 मंत्रालयों से एमओयू किए हैं जिसके अंतर्गत इन मंत्रालयों में एचआईवी की रोकथाम के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष विश्व में 15 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हुए जबकि पूरी दुनिया में 3.77 करोड़ लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं वहीं एआरटी दवाई के कारण एचआईवी से होने वाली मृत्यु दर में काफी कमी आई है।

डॉ.सूद ने बताया कि भारत में 23.50 लाख लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं और प्रतिवर्ष नए संक्रमण सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 4752 व्यक्ति एचआईवी के साथ जी रहे हैं जिसमें से जिला कांगड़ा के 1249 लोग हैं। हर मिनट हम बहुमूल्य जीवन एचआईवी के कारण खो रहे हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2020 सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में केवल 41 प्रतिशत पुरुषों व 36 प्रतिशत महिलाओं को इस बीमारी के बारे में संपूर्ण जानकारी है जोकि राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।


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