HNN/शिमला
हिमाचल सरकार के अगले बजट में कई योजनाओं के लिए वित्तपोषण कम हो सकता है। वित्तीय अनुशासन और कई केंद्रीय योजनाओं के बजट में कटौती का असर सुक्खू सरकार के तीसरे बजट में भी दिख सकता है। बजट को लेकर हो रही प्रारंभिक बैठकों से इस तरह के संकेत मिल रहे हैं।
वित्तीय वर्ष 2025-26 को लेकर वित्त सचिव अभिषेक जैन बैठक लेने जा रहे हैं। 15वें वित्तायोग ने आय और व्यय के बीच के अंतर को पाटने के लिए वर्ष 2021 से लेकर 2026 के बीच 37,199 करोड़ का राजस्व घाटा अनुदान तय किया था। वर्ष 2021-22 में 10249 करोड़ रुपये अनुदान मिला, जो कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में घटकर 9,377 करोड़ हो गया, और वर्ष 2023-24 में 8058 करोड़ और 2024-25 में 6,258 करोड़ हो गया। 2025-26 में 3,257 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है, जो कि चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 की तुलना में आधा है।
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इसके अलावा केंद्र सरकार ने बाह्य वित्तपोषित योजनाओं के लिए अनुदान जारी करने में भी सीलिंग लगा दी है। साल भर पहले लगाई सीलिंग के अनुसार तीन वर्षों के लिए केंद्र सरकार 3,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज नहीं ले पाएगी। इसका प्रभाव भी विश्व बैंक, एडीबी और विदेशी या अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से वित्तपोषित कई योजनाओं पर नजर आएगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू बार-बार जिस वित्तीय अनुशासन की बात दोहरा रहे हैं, उसे अगला बजट तैयार करते हुए अधिकारी ध्यान में रखे हैं। इसका प्रभाव ऐसी तमाम योजनाओं के बजट को घटाने के रूप में दिख सकता है, जिनसे संबंधित बजट में केंद्र ने भी कटौती की है या जिससे राजस्व घाटा बढ़ सकता है।
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