विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत के पहले टाइफाइड टीके जायवैक टीसीवी को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह टीका छह माह से लेकर 65 वर्ष तक के लोगों को साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से बचाने के लिए दिया जा सकता है। जाइडस लाइफसाइंसेज लि. द्वारा विकसित यह टीका गुजरात के अहमदाबाद में तैयार किया गया है।
टाइफाइड बुखार दूषित पानी और भोजन के कारण होता है, जिसमें साल्मोनेला एंटरिका सेरोवर टाइफी नामक जीवाणु शरीर में पहुंचते हैं। यह आंतों को संक्रमित करता है और तेज बुखार, पेट दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। स्वच्छता के अलावा सावधानीपूर्वक भोजन तैयार करना, हाथ धोना, उबलना, बोतलबंद या रासायनिक रूप से कीटाणुरहित पानी पीना जैसे रोकथाम के उपाय हैं।
भारत में टाइफाइड के मामले बढ़ रहे हैं। साल 2021 में भारत में टाइफाइड के करीब एक करोड़ से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। गवी, द वैक्सीन एलायंस की रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि टाइफाइड बुखार के कारण हर साल लगभग एक से 2.1 करोड़ मामले सामने आ रहे हैं और इनमें से 1.71 लाख लोगों की मौत हो रही है।
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जायवैक टीसीवी टीके का अंतिम चरण भारत के अलग-अलग अस्पतालों में करीब 240 से ज्यादा प्रतिभागियों पर किया गया। हालांकि, गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली माताओं में इस टीका की सुरक्षा और प्रभावशीलता स्थापित नहीं की है। इसके अलावा छह माह से कम आयु वाले बच्चों या 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों में भी सुरक्षा या असर का पता नहीं चला है।
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