HNN/शिमला
हिमाचल प्रदेश में अभी भी 400 सड़कें अवरुद्ध पड़ी है। जिससे प्रदेश के बनागवानों को काफी मुश्किलें हो रही है। सड़कों के अवरुद्ध रहने के कारण बागवानों को सेब की पेटियां की पीठ पर ढुलाई करनी पड़ रही है। बागवानों ने बताया कि शिमला, मंडी और कुल्लू में बागवानों के लिए फलों को मंडियों तक पहुंचना काफी मुश्किल हो गया है। एक पेटी को एक कि.मी. तक ले जाने में 100 रुपए किराया देना पड़ता है। बागवानों के लिए सेब को तोड़ने के बाद ढुलाई कराने पर मजदूरों को दोगुने पैसे देने पड़ रहे हैं।
बता दें कि निचले क्षेत्रों के बाद अब ऊपर के इलाकों के बगीचों में फसलें तैयार हैं। समय पर फसलों का मंडी में पहुंचना जरूरी है लेकिन मार्गों के अवरुद्ध होने से बागवानों को काफी परेशानियां हो रही है। मंडी जिले के करसाेग, सराज और चुराग के अलावा कुल्लू के दलाश और आनी सहित अन्य क्षेत्रों में, शिमला जिले के सेब उत्पादक क्षेत्रों रोहड़ू-छुहारा, जुब्बल-कोटखाई, चौपाल-मड़ावग की कई सड़कें अवरुद्ध हैं।
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महेंद्र राणा बागवान बालीचौकी मंडी ने बताया कि पहले बागवानों को केवल सड़क तक ही सेब की ढुलाई की जाती थी लेकिन अब मार्ग अवरुद्ध होने से सेब की फसल को ढुलाई के माध्यम से ही मंडियों तक पहुंचना पड़ता है। जिससे कि खर्चा दोगुना पड़ रहा है। तो वहीं हेमराज चौहान बागवान कुल्लू आनी का कहना है कि बगीचों में फसल तैयार है, थिनिंग करके सेब के तुड़ान की गति को धीमा तो किया जा सकता है लेकिन उसे रोका नहीं जा सकता। क्षेत्र में सड़कों के बंद होने से बागवानों में नुकसान का डर बढ़ रहा है।
सोहन ठाकुर प्रदेशाध्यक्ष सोहन सेब उत्पादक संघ ने बताया कि इस बार सीजन के दौरान सड़कों के बंद होने से बागवानों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि सेब उत्पादक क्षेत्रों की अधिकतर मुख्य और संपर्क सड़कें बंद पड़ी हैं। जिस कारण फसल मंडियों तक पहुंचाने के लिए बागवान खुद ही श्रमदान करके सड़कों की बहाली कर रहे हैं।
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