लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

एसएफआई ने हिमाचल विश्वविद्यालय में 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल का किया ऐलान, परीक्षाओं में धांधली और ईआरपी सिस्टम की नाकामी पर उठाई आवाज

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 15 अक्तूबर 2025 at 5:28 pm

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

छात्रों की मांगों को लेकर एसएफआई ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में नुक्कड़ नाटक और धरना प्रदर्शन किया। संगठन ने परीक्षा प्रणाली की अनियमितताओं, ईआरपी सिस्टम की नाकामी और छात्र सुविधाओं की कमी को लेकर 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल का ऐलान किया।

शिमला।

परीक्षाओं में धांधली और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन
एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में नुक्कड़ नाटक और धरना प्रदर्शन किया गया। संगठन ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में परीक्षाओं को केवल पैसा इकट्ठा करने का माध्यम बना दिया गया है और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

ईआरपी सिस्टम की नाकामी और खर्चीली परीक्षा प्रक्रिया
कैंपस उपाध्यक्ष कामरेड आशीष ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा लागू किया गया ईआरपी सिस्टम पूरी तरह असफल साबित हुआ है। ऑनलाइन प्रणाली के तहत परीक्षा परिणाम घोषित करने में काफी देरी हो रही है, जबकि खर्च भी बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि पहले ऑफलाइन प्रणाली में एक उत्तर पुस्तिका की जांच में 25 से 30 रुपये खर्च होते थे, लेकिन अब ऑनलाइन प्रणाली में लगभग 80 रुपये प्रति उत्तर पुस्तिका खर्च किए जा रहे हैं, जिससे विश्वविद्यालय पर आर्थिक बोझ बढ़ा है।

रिजल्ट में गड़बड़ी और फेल करने की नीति पर सवाल
एसएफआई ने कहा कि ऑनलाइन प्रणाली में धांधली का स्तर इतना बढ़ गया है कि एक ही छात्र की एक विषय की दो उत्तर पुस्तिकाएं निकलती हैं। उदाहरण के तौर पर ऊना कॉलेज में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। वहीं, कई बार छात्र परीक्षा परिणाम में पास दिखते हैं लेकिन बाद में परिणाम बदलकर उन्हें अनुपस्थित दिखाया जाता है। संगठन का आरोप है कि जानबूझकर छात्रों को 4–5 अंकों से फेल किया जाता है ताकि वे पुनः मूल्यांकन के लिए आवेदन करें और विश्वविद्यालय उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूल सके।

विश्वविद्यालय प्रशासन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
एसएफआई परिसर सचिव ने कहा कि परीक्षा नियंत्रक रिवैल्युएशन और रीअपीयर के नाम पर छात्रों से पैसे लूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को बने 56 वर्ष से अधिक हो चुके हैं, लेकिन छात्रों को अब भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

छात्रावास और बस सुविधा की भारी कमी
एसएफआई ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन दावा करता है कि सभी छात्रों को हॉस्टल सुविधा उपलब्ध है, जबकि वास्तविकता यह है कि केवल कुछ प्रतिशत छात्रों को ही हॉस्टल मिलता है। बाकी छात्रों को ऊंचे किराए पर निजी कमरों में रहना पड़ता है। इसके अलावा, कभी विश्वविद्यालय के पास आठ बसें हुआ करती थीं, लेकिन अब मात्र तीन बसें ही बची हैं। संगठन ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन बसों के ठेकाकरण की योजना बना रहा है।

भर्ती में देरी और आर्थिक अनियमितताएं उजागर
एसएफआई ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2019 और 2021 में गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती के विज्ञापन जारी किए थे, लेकिन भर्तियां पूरी नहीं की गईं। आरटीआई के जवाब में सामने आया कि विश्वविद्यालय ने इस अवधि में छात्रों से लगभग 4.50 करोड़ रुपये वसूल किए। संगठन ने मांग की कि जल्द से जल्द लंबित भर्तियां पूरी की जाएं।

छात्र संघ चुनावों की बहाली की मांग
एसएफआई ने कहा कि छात्रों को बुनियादी सुविधाएं न मिलने की एक बड़ी वजह छात्र संघ चुनावों पर 2013 से लगा प्रतिबंध है। संगठन ने सरकार से मांग की कि लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली करते हुए छात्र संघ चुनावों को फिर से शुरू किया जाए।

24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल का ऐलान
एसएफआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि इन सभी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। संगठन ने परीक्षाओं में धांधली रोकने, ईआरपी सिस्टम खत्म करने और परीक्षा प्रणाली में सुधार की मांग करते हुए 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल का ऐलान किया है।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें


[web_stories title="false" view="grid", circle_size="20", number_of_stories= "7"]