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विश्व ध्यान दिवस / UN में पहली बार मनाया गया विश्व ध्यान दिवस, श्री श्री रविशंकर ने प्रतिभागियों के साथ इससे जुड़े लाभों पर चर्चा की

हिमाचलनाउ डेस्क |
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21 दिसंबर, 2024 at 11:57 am

ऐतिहासिक आयोजन और प्रमुख व्यक्तित्व

संयुक्त राष्ट्र में पहली बार विश्व ध्यान दिवस (World Meditation Day) का आयोजन किया गया। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 20 दिसंबर 2024 को भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर मुख्य वक्ता रहे। उनके साथ महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग और अवर महासचिव अतुल खरे भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम का उद्देश्य

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ‘वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान’ को बढ़ावा देना था। इस आयोजन में 600 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। श्री श्री रविशंकर ने एक विशेष ध्यान सत्र का नेतृत्व किया और ध्यान से जुड़े लाभों एवं आयामों पर विस्तार से चर्चा की।

भारत की भूमिका और ध्यान की महत्ता

भारत का योगदान

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने ध्यान की प्राचीन भारतीय प्रथा को व्यक्तिगत पूर्ति और आंतरिक शांति का साधन बताया। यह प्रथा भारतीय सभ्यता के “वसुधैव कुटुंबकम” के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका अर्थ है “संपूर्ण विश्व एक परिवार है।”

महासभा का प्रस्ताव

6 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया। इस प्रस्ताव में योग और ध्यान को स्वास्थ्य एवं कल्याण के पूरक दृष्टिकोण के रूप में स्वीकार किया गया। इस प्रस्ताव को पारित कराने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

ध्यान के लाभ और प्रभाव

ध्यान से करुणा और सम्मान

महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग ने अपने संबोधन में कहा कि ध्यान से लोगों में करुणा और एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना विकसित होती है। अवर महासचिव अतुल खरे ने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान के सकारात्मक प्रभावों और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर इसके गहन लाभों को रेखांकित किया।

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का संदेश

श्री श्री रविशंकर ने ध्यान के कई लाभों पर प्रकाश डालते हुए इसे तनाव, संघर्ष और पीड़ा का समाधान बताया। उन्होंने कहा कि ध्यान से मानसिक शांति, आत्म-चिंतन और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा मिलता है।

21 दिसंबर: ध्यान और भारतीय परंपरा

शीतकालीन संक्रांति का महत्व

21 दिसंबर को शीतकालीन संक्रांति होती है, जिसे भारतीय परंपरा में “उत्तरायण” की शुरुआत माना जाता है। यह समय ध्यान और आत्म-चिंतन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के ठीक छह महीने बाद पड़ता है, जो ग्रीष्मकालीन संक्रांति का प्रतीक है।

विश्व ध्यान दिवस का महत्व

विश्व ध्यान दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में एक नई शुरुआत है। यह दिन ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति और शांति, सद्भाव और मानव कल्याण के महत्व को दर्शाता है। संघर्षों और पीड़ा से भरी दुनिया में, यह कदम ध्यान को एक वैश्विक समाधान के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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