कुल्लू के ढालपुर मैदान में इन दिनों गांधी शिल्प बाजार का आयोजन किया गया है, जहां मिट्टी के बर्तनों की खरीदारी को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
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मिट्टी के बर्तनों के प्रति बढ़ता रुझान
- हस्त शिल्प कारीगर के.के. वर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा आयोजित इस शिल्प बाजार का उद्देश्य ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ करना है।
- बाजार में टेराकोटा, क्ले पॉटरी, पानी के मटके, कप, गिलास, और दही जमाने के बर्तन जैसी वस्तुएं लोगों को खूब आकर्षित कर रही हैं।
- वर्मा ने बताया कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से थायराइड, शुगर, और बीपी जैसी बीमारियों में लाभ मिलता है, और ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करते हैं।
संस्कृति का संरक्षण
- स्थानीय महिला पूजा दयाल ने कहा कि मिट्टी के बर्तन भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।
- उन्होंने बताया कि प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में तवा, हांडी जैसे मिट्टी के बर्तन उपयोग में लाए जाते थे।
- पूजा ने कहा, “आज की पीढ़ी भी मिट्टी के बर्तनों की ओर लौट रही है, क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और लाभदायक हैं।“
विदेशी पर्यटकों का भी आकर्षण
- बाजार में विदेशी पर्यटक भी मिट्टी के बर्तनों की खरीदारी में रुचि दिखा रहे हैं।
- पूजा दयाल ने कहा, “विदेशी लोग हमारे सांस्कृतिक उत्पादों को देखकर प्रभावित होते हैं, तो हमें भी अपनी संस्कृति को अपनाना चाहिए।“
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