किरतपुर-नेरचौक फोरलेन: निर्माण कार्य के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान सरकारी भूमि पर बने भवनों के लिए करीब 5 करोड़ रुपये का मुआवजा जारी किया गया है। इस मामले पर अब भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने गंभीर सवाल उठाए हैं और इसे भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग (आईए एंड एडी) के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जानकारी के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन सरकारी भूमि पर बने कई भवन अभी भी यथावत खड़े हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन भवनों के लिए मुआवजा राशि का वितरण पहले ही कर दिया गया है। यह मामला उच्च न्यायालय की निगरानी में है, और कैग अपनी जांच पूरी करने के बाद ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ उच्च न्यायालय को सौंपेगा।
हाईकोर्ट में हुआ था खुलासा
फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ था कि सरकारी भूमि पर बने भवनों के लिए 5 करोड़ रुपये का मुआवजा जारी किया गया है। समिति ने इसे सरकारी धन का दुरुपयोग बताया।
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उच्च न्यायालय का निर्देश
18 सितंबर 2024 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए कहा था कि कैग पूरे मामले की गहराई से जांच करेगा और इसकी रिपोर्ट अदालत को सौंपेगा। इसके बाद 18 नवंबर 2024 को रजिस्ट्रार जनरल ने कैग को आदेश की प्रति भेजी, जो 25 नवंबर 2024 को कैग के कार्यालय को प्राप्त हुई।
शुरू हुई जांच प्रक्रिया
अब इस मामले की जांच प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। कैग की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। उच्च न्यायालय इस मामले की निगरानी कर रहा है, ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग रोका जा सके और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
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