भारत के लिए एक अहम क्षण आने वाला है, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज रात श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से दो उपग्रहों को लॉन्च करेगा। इस मिशन को SpaDeX (Space Docking Experiment) नाम दिया गया है और यह देश को अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक उपयोग करने वाले देशों के समूह में शामिल कर देगा। इसरो का यह मिशन वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में भारत की नई पहचान स्थापित करने वाला है।
भारत बनेगा चौथा देश, जिसने सफलतापूर्वक डॉकिंग तकनीक का उपयोग किया
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि SpaDeX मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल करेगा, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक लागू किया है। इस मिशन के सफलतापरक होने से भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र और भी प्रगति करेगा, और यह भविष्य में चंद्रमा से मिट्टी और पत्थर लाने, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BIS) स्थापित करने और मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
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SpaDeX मिशन का उद्देश्य और महत्व
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का विकास करना है। इसके तहत दो उपग्रहों, एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02, को एक साथ धरती की निचली कक्षा (LEO) में भेजा जाएगा, जहां वे एक-दूसरे से जुड़ेंगे और फिर अलग होंगे। इस परीक्षण के दौरान यह भी देखा जाएगा कि डॉक किए गए उपग्रहों के बीच ऊर्जा का स्थानांतरण कैसे किया जा सकता है, जो भविष्य में अंतरिक्ष रोबोटिक्स और कार्यों को नियंत्रित करने में सहायक होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह तकनीक भारत के चांद और मंगल जैसे अंतरग्रही मिशनों के लिए जरूरी होगी। इसके अलावा, डॉकिंग तकनीक की मदद से मल्टी-लॉन्च मिशन संभव हो सकेंगे, जो मानव अंतरिक्ष उड़ान को भी मदद प्रदान करेंगे।
उपग्रहों और पेलोड्स की भूमिका
डॉकिंग और अनडॉकिंग के बाद ये उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में दो साल तक काम करते रहेंगे। इनका काम पृथ्वी के संसाधनों का अध्ययन करना, उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें लेना, और वैज्ञानिक आंकड़े एकत्र करना होगा।
- एसडीएक्स01 उपग्रह में एक उच्च-रिजॉल्यूशन कैमरा (HRC) है, जो उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें खींचेगा।
- एसडीएक्स02 उपग्रह में दो पेलोड्स हैं: एक मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल (MMX) और दूसरा रेडिएशन मॉनिटर (RedMon)। ये पेलोड पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों, वनस्पति अध्ययन, और अंतरिक्ष में विकिरण की माप करेंगे।
इन पेलोड्स का उपयोग प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी, वनस्पति के अध्ययन और विकिरण के स्तर को मापने के लिए किया जाएगा।
अन्य पेलोड्स और प्रयोग
SpaDeX मिशन के तहत पीएसएलवी-सी60 रॉकेट से कुल 24 पेलोड्स लॉन्च किए जाएंगे। इनमें इसरो की विभिन्न प्रयोगशालाओं, निजी स्टार्टअप्स और शैक्षिक संस्थानों के पेलोड्स शामिल हैं, जिनका उद्देश्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोग करना है।
यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि यह अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूती देगा।
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