HNN/ राजगढ़
आयुर्वेद पद्धति आदिकाल से प्रचलित है जिसमें असाध्य रोगों का उपचार संभव है। जड़ी बूटियों के अनेक ज्ञाता है जिनके द्वारा दवा बनाकर बेचना एक व्यवसाय बना हुआ है परंतु यशवंतनगर से करीब आठ किलोमीटर दूर सोलन रोड़ पर कोईघाट गांव के 77 वर्षीय प्रेम चंद पंवार बीते 60 वर्षों से निःशुल्क एवं निःस्वार्थ भाव से लोगों का जड़ी बूटियों से उपचार कर रहे हैं। वैद्य प्रेमचंद पंवार ने विशेष बातचीत में बताया कि उनके पिता भी वैद्य का काम करते थे जिनके सानिध्य में उन्होने जड़ी बूटियों का ज्ञान प्राप्त किया और वह 17 साल से अपने पुशतैनी कार्य को निभाते आ रहे हैं।
वैद्य प्रेमचंद पंचार का कहना है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंग्रेजी दवाईयों का काफी बोलबाला है। बताया कि अंग्रेजी दवाओं से तत्काल आराम जरूर होता है परंतु इनसे मनुष्य शरीर पर अनेक दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। जबकि जड़ी बूटियों का उपचार बिल्कुल सुरक्षित है। भले ही आराम आने में समय लगता है परंतु इससे बीमारी पूरी तरह से खत्म हो जाती है। इनका कहना है कि चूड़धार में जड़ी बूटियों का अनमोल खजाना है और वह हर वर्ष चूड़धार से जड़ी बूटियां एकत्रित करके लाते हैं जिसकी दवा बनाकर लोगों को मुफ्त बांटते हैं।
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पूर्व मंत्री कर्नल डॉ धनीराम शांडिल ने करीब आठ वर्ष पूर्व बिलासपुर में आयोजित एक समारोह में वैद्य प्रेमचंद पंवार को निःस्वार्थ भाव से रोगियों की सेवा करने पर सम्मानित किया गया था। वैद्य प्रेमचंद ने बताया कि वह शूगर, जोड़ों का दर्द, श्वास-दमा, बावासीर, पीलिया, कैंसर इत्यादि की दवाएं देते हैं। इसके अतिरिक्त प्रेम चंद पंवार पागल कुत्ते व सांप से काटने की भी दवाएं देते हैं। बताया उनके द्वारा सांप व पागल कुत्ते के काटे अअसंख्य व्यक्तियों का इलाज किया गया जा चुका है।
इनका कहना है उनके द्वारा रोगियों का उपचार सप्ताह में दो दिन अर्थात मंगलवार और रविवार को किया जाता है। रोगियों से किसी प्रकार का कोई पैसा नहीं लिया जाता है। बताया कि उनके पिता स्व ज्वाला राम क्षेत्र के जाने माने वैद्य होते थे। उस दौरान लोग जड़ी बूटियों से काफी उपचार करवाते थे। अंग्रेजी दवाओं से तंग आकर लोगों का रूझान पुनः आयुर्वेद की ओर बढ़ रहा है। बताया कि जड़ी बूटियों का ज्ञान होना जरूरी है कुछ जड़ी बूटियां उनके आसपास भी मिलती है।
वैद्य ने लोगों से आग्रह किया है कि आधुनिक युग में स्वस्थ रहने के लिए अपनी दिनचर्या खानपान का तरीका बदले और अंग्रेजी दवाओं का कम सेवन करें तभी काया निरोग बन सकती है। बता दें कि वैद्य प्रेमचंद 77 वर्ष की आयु में बिल्कुल स्वस्थ है। इनका कहना है कि गरीब व पीड़ित व्यक्ति की सेवा करना एक पुनीत कार्य है ओर वह इसी उददेश्य को लेकर रोगियों की निःशुल्क सेवा कर रहे हैं।
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