सिरमौर
सिरमौर की पहाड़ी संस्कृति के मज़बूत ध्वजवाहक और प्रसिद्ध समाजसेवी रतन सिंह चौहान को उनके पैतृक गांव किल्लौड़ में आयोजित शोक सभा में भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। 84 वर्षीय चौहान के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। त्रिमूर्ति प्राकृतिक चिकित्सा एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष स्वामी शीशपाल उपाध्याय ने कहा कि चौहान के जाने से सिरमौर की सांस्कृतिक धरोहर को अपूरणीय क्षति हुई है।
उन्होंने बताया कि चौहान को हारूल, झूरी, लामाण जैसे पारंपरिक सिरमौरी गीतों में महारथ हासिल थी। उनकी मखमली आवाज़ 35 वर्षों तक आकाशवाणी शिमला पर गूंजती रही और उन्होंने सौ से अधिक गीतों की रचना भी की थी।
जन-जागरण अभियानों में रहा अग्रणी योगदान
विश्व जागृति मंच की महासचिव करिश्मा ठाकुर ने बताया कि रतन सिंह चौहान ने मंच के बैनर तले छह राष्ट्रीय जन-जागरण अभियान चलाए। इनमें राजीव गांधी पेयजल मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, नशाबंदी, ग्रामीण स्वच्छता और स्वास्थ्य जनजागरण प्रमुख थे। उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों से सिरमौर के 170 पंचायतों में सामाजिक जागरूकता बढ़ी। बढ़ाना पंचायत के पूर्व प्रधान रंगीलाल ने कहा कि चौहान ने सहस्त्रधारा तीर्थ के संरक्षण और उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी श्रीकृष्ण कीर्तन मंडली ने वर्षों तक निःशुल्क कीर्तन कर सनातन संस्कृति को जीवित रखा।
हाटी समाज ने जताया गहरा शोक
केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ. अमिचंद कमल और महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने संयुक्त बयान में कहा कि रतन सिंह चौहान हाटी संस्कृति के असली ध्वजवाहक थे। उन्होंने गांव से लेकर आकाशवाणी तक हाटी समाज की पहचान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। समिति ने उनके निधन को समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया।
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