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हिमाचल में भूकंप व आपदाओं से निपटने के लिए राज्यस्तरीय मेगा मॉक ड्रिल, 12 जिलों में 109 साइट्स पर किया अभ्यास

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शिमला

एनडीएमए, सेना, वायुसेना समेत सभी विभागों ने लिया हिस्सा, कमियों को सुधारने पर दिया गया जोर

हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सहयोग से प्रदेशभर में 9वां राज्यस्तरीय मेगा मॉक अभ्यास आयोजित किया। यह अभ्यास घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (IRS) के राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य आपदा की स्थिति में तुरंत और समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करना है।

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तीन चरणों में हुआ मॉक अभ्यास

यह मॉक ड्रिल तीन मुख्य चरणों में आयोजित की गई। पहले चरण में 27 मई को ओरिएंटेशन और कोऑर्डिनेशन कार्यशाला हुई, दूसरे चरण में 3 जून को टेबल-टॉप अभ्यास हुआ और 6 जून को सभी जिलों में मेगा मॉक अभ्यास आयोजित किया गया। पूरे प्रदेश में 109 स्थानों पर इस ड्रिल को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।

12 जिलों में किए गए आपदा परिदृश्यों पर अभ्यास

सभी 12 जिलों में भिन्न-भिन्न आपदा परिदृश्यों जैसे ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF), भूस्खलन, चट्टानों का गिरना, अस्पताल आपातकालीन स्थिति, औद्योगिक हादसे, तेल रिसाव और इमारतों के ढहने जैसे संकटों पर आधारित मॉक अभ्यास किए गए। सिरमौर, कांगड़ा, कुल्लू, चंबा, शिमला सहित अन्य जिलों में पुलिस, फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ, होमगार्ड, प्रशासन और चिकित्सा दलों ने पूर्ण समन्वय से भाग लिया।

राष्ट्रीय व राज्य एजेंसियों ने निभाई अहम भूमिका

इस अभ्यास में एनडीआरएफ, सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एसएसबी और दीपक प्रोजेक्ट सहित अन्य एजेंसियों ने भाग लिया। राज्य स्तर पर सभी संबंधित विभागों ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर अपनी आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली की कार्यक्षमता का परीक्षण किया।

कमियों की समीक्षा और सुधार पर ज़ोर

अभ्यास उपरांत अतिरिक्त मुख्य सचिव (आपदा प्रबंधन) के.के. पंत ने डी-ब्रीफिंग मीटिंग में कहा कि शांति में बहाया गया पसीना, युद्ध में खून बचाता है। उन्होंने जिलों को मॉक ड्रिल के दौरान पाई गई खामियों को दूर करने का निर्देश दिया। सभी उपायुक्तों ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए आपदा प्रतिक्रिया तंत्र को और अधिक मज़बूत करने की प्रतिबद्धता जताई।

जीआईएस और मेडिकल रिस्पॉन्स पर जोर

विशेष सचिव डी.सी. राणा ने लॉजिस्टिक, मेडिकल रिस्पॉन्स और राहत कार्य को और बेहतर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वीसैट नेटवर्क व जीआईएस आधारित मानचित्रण की उपयोगिता को रेखांकित किया।

सभी एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की अपील

NDMA के मुख्य सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सुधीर बहल ने बेहतर समन्वय, एकीकृत प्रयास और तत्परता को आपदा से निपटने की कुंजी बताया। उन्होंने सभी विभागों से हर प्रकार की आपदा से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।

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