HPMC हर साल लगभग 20 से 25 हजार टन सेब की खरीद करता है
शिमला, हिमाचल नाऊ न्यूज़:
हिमाचल प्रदेश के बागवानों के लिए एक अच्छी खबर है! हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (HPMC) ने ‘सी’ ग्रेड सेब की बिक्री दरों में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे किसानों की आय में सीधे तौर पर बड़ा इजाफा होगा।
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अब HPMC 12 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदे गए ‘सी’ ग्रेड सेब को अपने उपयोग के बाद 10 रुपये प्रति किलो की दर से बेचेगा, जो पहले मात्र 3.50 रुपये प्रति किलो था।
यह वृद्धि बागवानों के लिए एक बड़ी वित्तीय राहत साबित होगी।HPMC के इस कदम से न केवल निगम को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, बल्कि बागवानों को भी उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलने का विश्वास बढ़ेगा।
पहले बचे हुए सेब को कम दामों पर बेचना पड़ता था, लेकिन अब यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें अपने ‘सी’ ग्रेड उत्पाद के लिए भी सम्मानजनक मूल्य मिले।इस बार HPMC ने ‘सी’ ग्रेड सेब की खरीद के लिए निविदाएं आमंत्रित कीं, जिसमें दो कंपनियों ने रुचि दिखाई है।
ये कंपनियाँ सेब को 10 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदेंगी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रकों का भाड़ा भी स्वयं वहन करेंगी, जिससे HPMC को कोई अतिरिक्त खर्च नहीं उठाना पड़ेगा।
प्रदेश में बागवानों से मंडी मध्यस्थता योजना के तहत 12 रुपये प्रति किलो की दर से ‘सी’ ग्रेड सेब की खरीद की जाती है। HPMC इन सेबों से सिरका, एप्पल कंसंट्रेट, जूस, जेम, चटनी, स्क्वाश और वाइन जैसे विभिन्न मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार करता है।
इसके लिए पराला में एक नया अत्याधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है, जो इन उत्पादों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।बागवानी विभाग के सचिव सी. पालरासु ने इस पहल पर टिप्पणी करते हुए कहा, “किसानों से खरीदा सेब जो HPMC के अपने उपयोग से बच जाएगा उसे बेचने के लिए अभी से व्यवस्था कर दी है।
इस बार इसे 10 रुपये प्रति किलो बेचा जाएगा, जबकि पहले 3.50 रुपये तक बेचा जाता था।”HPMC हर साल लगभग 20 से 25 हजार टन सेब की खरीद करता है, जिसके लिए राज्य भर में खरीद केंद्र स्थापित किए जाते हैं।
पहले हिमफेड भी सेब की खरीद में शामिल था, लेकिन अब केवल HPMC ही सेब और अन्य फलों की खरीद का कार्य संभालेगा, जिससे प्रक्रिया में अधिक सुगमता आएगी।यह निर्णय हिमाचल प्रदेश के बागवानों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो न केवल उनकी आय में वृद्धि करेगा बल्कि उन्हें अपनी उपज के लिए बेहतर बाज़ार भी प्रदान करेगा।
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