प्रमुख शिवालयों में लगी भक्तों की कतारें, विद्वानों ने बताया श्रावण मास का महत्व
हिमाचल नाऊ न्यूज़ सिरमौर:
श्रावण माह के सोमवार को हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के शिवालयों में आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। सुबह से ही शिव भक्तों की लंबी कतारें मंदिरों के बाहर लग गई, जो भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने के लिए आतुर दिखे।
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सिरमौर के प्रमुख शिवालयों में श्रद्धालुओं ने पूरे भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना की
सतयुग कालीन पौड़ी वाला शिव मंदिर, पिपली वाला पातालेश्वर शिव मंदिर, चूड़ेश्वर मंदिर, रानीताल शिव मंदिर, जोगन वाली शिव मंदिर, काली स्थान शिव मंदिर, स्वयंभू शिवलिंग शिव मंदिर काला अंब, और शिव मंदिर ढाबों मोहल्ला जैसे महत्वपूर्ण मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा।

भक्तों ने शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और पुष्प अर्पित किए और अपनी मनोकामनाएं भगवान शिव के समक्ष रखीं।इस अवसर पर आचार्य वेद ज्ञाता पंडित नितेश भारद्वाज और पंडित गणेश दत्त ने श्रावण मास और सोमवार के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इस माह में की गई पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होती है। रानीताल शिव मंदिर के पुजारी पंडित काकूराम ने श्रद्धालुओं को जलाभिषेक की सही विधि और महत्व के बारे में जानकारी दी।

श्रावण के सोमवार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

यही कारण है कि सिरमौर के शिवालयों में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर आयु वर्ग के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। मंदिरों में ‘हर-हर महादेव’ और ‘ओम नमः शिवाय’ के जयकारों से वातावरण भक्तिमय बना रहा।
कई भक्तों ने कठिन चढ़ाई वाले चूड़ेश्वर मंदिर की भी यात्रा की, जो उनकी अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। प्रशासन की ओर से भी भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध किए गए थे।

श्रावण माह के सोमवार को सिरमौर के शिवालयों में उमड़ी यह श्रद्धा और भक्ति की लहर पूरे दिन जारी रही, जो भगवान शिव के प्रति लोगों की गहरी आस्था को दर्शाती है।
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