HNN/ नाहन
डिनर डिप्लोमेसी के बावजूद सिरमौर कांग्रेस में गुटबाजी का पटाक्षेप होता नजर नहीं आ रहा है। विधायक विनय कुमार सहित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जी आर मुसाफिर, पूर्व विधायक किरनेश जंग, जिला कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष अजय बहादुर सिंह और अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष इकबाल चौधरी का प्रदेश कांग्रेस प्रभारी व राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला से मिलने जाना गुटबाजी की आग में घी का काम कर गया है।
इस मुलाकात में केवल विधायक विनय कुमार का गुट ही नजर आया जबकि दूसरी तरफ से किसी को साथ नहीं लिया गया था। सूत्रों की माने तो जीआर मुसाफिर के साथ उनके अपने गुट के ही श्रेष्ठ व्यक्ति के द्वारा कूटनीतिक दांव भी खेला जा रहा है। जीआर मुसाफिर को कार्यकारी जिला अध्यक्ष बनाया जाना इस नीति का एक हिस्सा माना जा रहा है। यही नहीं माना तो यह भी जा रहा है कि उन्हें जिला अध्यक्ष चुना जाए।
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राजनीति के गणित में इसके दो मायने निकाले जा रहे हैं या तो जीआर मुसाफिर को उनका ही गुट विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में नहीं है। या फिर उन्हें संसदीय चुनाव में उतारने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके पीछे व्यक्ति विशेष की मंशा दूसरे गुट के हर्षवर्धन चौहान को कद में छोटा करने की नजर आती है। वही कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की नराजगियां भी जायज मानी जा सकती हैं। क्योंकि श्री रेणुका जी और पच्छाद दोनों विधानसभा क्षेत्र रिजर्व है।
श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के विधायक कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी हैं मगर जो जातिगत आधार पर वर्ग इन्हें समर्थन देता है वह खुद को हाशिए पर मान रहा है। असल में कांग्रेस के पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में गिने जाने वाले बृजराज ठाकुर को जिला सिरमौर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर दोनों गुटों के अधिकतर लोग रजामंद थे। मगर यहां विधायक महोदय को बृजराज का जिलाध्यक्ष बनना पच नहीं रहा है। ऐसे में जिला अध्यक्ष पद के लिए दूसरा चेहरा तजुर्बे के आधार पर रूपेंद्र ठाकुर का माना जाता है।
मगर यहां भी विनय गुट को इस चेहरे पर आपत्ति नजर आती है। पांवटा साहिब और नाहन तथा शिलाई से जनरल बॉडी को चुनाव लड़ने का मौका मिलता है। ऐसे में रिजर्व क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेसियों का कहना है कि उन्हें हमेशा हाशिए पर ही रखा जाता है। अब यदि बृजराज ठाकुर अथवा रूपेंद्र ठाकुर पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष की मुहर लगती है तो निश्चित रूप से गुटबाजी का रूप थोड़ा सा बदलेगा।
मगर वही चंद मुट्ठी भर लोगों के साथ हाईकमान के आसपास लॉबिंग करना कहीं ना कहीं खुद के पांव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा नजर आता है। ऐसे में माना जा सकता है कि जिला सिरमौर की पांचों सीट अब भाजपा के पाले में निश्चित रूप से जा सकती हैं। अब यदि कूटनीति के जरिए से विश्लेषण किया जाए तो नाहन विधानसभा सीट के लिए दूसरा गुट अजय सोलंकी को प्रमोट करने की जगह डिमोट कर रहा है।
उद्देश्य साफ नजर आता है कि सोलंकी की जगह किसी और को टिकट दिए जाने की लॉबिंग की जा रही है। जबकि पिछले चुनाव की बनिस्बत इस बार सोलंकी काफी मजबूत स्थिति में है। बरहाल, यह तो तय है कि अगर हालात इसी तरह से बने रहे तो निश्चित तौर पर हाल ही में हुई डिनर डिप्लोमेसी कब राजनीतिक फूड प्वाइजन कर जाएगी कहा नहीं जा सकता।
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