लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

वन विभाग ने संवारी ऐतिहासिक धरोहर, ब्रिटिश शासनकाल के जंगलात भवन को पुनर्निर्मित कर बनाया आकर्षक पर्यटन स्थल

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 21 फ़रवरी 2025 at 5:41 pm

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

Himachalnow / पांवटा साहिब

1900 के दशक का जंगलात भवन अब पर्यटकों के लिए बना आकर्षण

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के खारा में स्थित 1900 के दशक का ऐतिहासिक जंगलात भवन अब पर्यटकों को आकर्षित करेगा। ब्रिटिश शासन के दौरान निर्मित इस फॉरेस्ट रेस्ट हाउस का वन विभाग ने जीर्णोद्धार कर इसे पुनः संवार दिया है।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

खारा के घने साल के जंगलों के बीच स्थित इस रेस्ट हाउस को पहले ‘जंगलात चौकी’ कहा जाता था, जहां रियासत सिरमौर का वन विभाग जंगलों की सुरक्षा करता था। अब इसे मूल रूप में संरक्षित रखते हुए आधुनिक सुविधाओं के साथ पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।

प्राकृतिक सुंदरता और आधुनिक सुविधाओं का संगम

वन विभाग ने इस ऐतिहासिक इमारत को उसकी पुरानी सुंदरता बरकरार रखते हुए पर्यटकों के लिए सुलभ बनाया है। ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक बेहतरीन स्थल बन गया है। रेस्ट हाउस की बुकिंग अब ताई सुधा रेट पर उपलब्ध है, जिससे प्रकृति प्रेमी यहां आराम से ठहर सकते हैं।

ब्रिटिश शासन में हुआ था निर्माण

ब्रिटिश शासन के दौरान इस रेस्ट हाउस का निर्माण वन अधिकारियों और शोधकर्ताओं के विश्राम स्थल के रूप में किया गया था। घने साल के जंगलों से घिरा यह स्थान आज भी समृद्ध वन धरोहर का प्रतीक है।

लंबे समय तक उपेक्षा से पहुंचा नुकसान

वर्षों तक उपेक्षित रहने के कारण इस ऐतिहासिक भवन को नुकसान पहुंचा, लेकिन वन विभाग के प्रयासों से इसका जीर्णोद्धार कर इसे नया जीवन दिया गया है। इस प्रक्रिया में स्थानीय वन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने इसके पुनर्निर्माण को सफलतापूर्वक पूरा किया।

आदर्श इको-पर्यटन स्थल

यह क्षेत्र दुर्लभ पक्षी प्रजातियों और वन्यजीव फोटोग्राफरों के लिए आदर्श स्थल बन चुका है। साल के घने जंगल, इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल के संरक्षण के अंतर्गत आने वाला यह इलाका जैव विविधता से भरपूर है, जो पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है।

पर्यटकों के लिए शुल्क निर्धारित

हिमाचल प्रदेश के निवासियों के लिए इस रेस्ट हाउस में ठहरने का शुल्क ₹500 प्रति रात, जबकि अन्य राज्यों के पर्यटकों के लिए ₹1000 प्रति रात निर्धारित किया गया है।

डीएफओ ऐश्वर्य राज का बयान

पांवटा साहिब वन मंडल के डीएफओ ऐश्वर्य राज ने कहा कि इस ऐतिहासिक इमारत को उसकी पुरानी सुंदरता के साथ बहाल किया गया है। अब इसे आम जनता के लिए बुकिंग के लिए खोल दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाने और जंगलों की शांति का आनंद उठाने का अनूठा अवसर प्रदान करेगा।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें