HNN/ नाहन
हिमाचल प्रदेश भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति सहित अन्य पूर्व सैनिक संगठनों ने वन रैंक वन पैंशन विसंगति को दूर करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है एवं उनकी मांगों के प्रति अनदेखी पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया हैं।
पूर्व सैनिकों ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि लोक सभा चुनावों से पहले वन रैंक वन पेंशन विसंगति को दूर नहीं किया तो वह पूर्व लोक सभा चुनावों में केद्र सरकार को इसका खामियाजा भुगतना होगा।
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उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व सैनिक पिछले 72 दिनों से नई दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दे रहे है। लेकिन अभी तक इस ओर उचित कदम नहीं उठाए गए हैं। जिससे पूर्व सैनिकों में रोष बढता जा रहा हैं।
उन्होंने इससे पहले बिलासपुर शहर के चंगर सेक्टर स्थित शहीद स्मारक में दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धाजंलि दी। इस अवसर पर पूर्व सैनिकों ने धरना प्रदर्शन व नारेबाजी भी की। उन्होंने इस मुद्दे पर राज्यसभा सांसद जेपी नड्डा एवं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र भेजकर केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इन विसंगतियों को दूर किया जाए।
ताकि लाखों पूर्व सैनिकों को इसका लाभ मिल सके। इस अवसर पर प्रमुख पूर्व सैनिक एवं पदाधिकारी सुरेंद्र ,एवं हिमाचल प्रदेश भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति अध्यक्ष कैप्टन बालक राम ने कहा कि पूर्व सैनिक विसंगति दूर करने को लेकर सडक़ों पर उतरा हुआ है। लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है।
उन्होंने कहा कि वन रैंक वन पैंशन विसंगति होने के चलते पूर्व सैनिकों में रोष है। उन्होंने कहाकि इससे पहले भी वन रैंक वन पैंशन विसंगति दूर करने को लेकर केंद्र सरकार को अवगत करवाया गया है। लेकिन अभी तक इस मसले को लेकर केंद्र सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई है। जिसके चलते केंद्र के खिलाफ पूर्व सैनिकों का रोष बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पूर्व सैनिकों के मसले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। वहीं, पूर्व सैनिक सुरेश कुमार ने कहा कि कुछ पूर्व सैनिक अधिकारियों ने अपने स्वार्थो के चलते सरकार के साथ मिलकर अपने वेतन विसंगतियो को दूरूस्त करवा लिया तथा कनिष्ठ सैन्य अधिकारियों की अनदेखी होने दी।
उन्होंने कहा कि देश भर का पूर्व सैनिक इस विसंगति का विरोध कर रहा है। जिसके चलते केंद्र सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से यदि इस मसले को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई तो यह आंदोलन और उग्र रूप धारण कर लेगा। जिसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होगी।
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