लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

राज्यपाल ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मेलन में लिया भाग

Ankita | 3 अगस्त 2024 at 12:06 pm

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

HNN/ शिमला

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में विश्वविद्यालयों को अपनी कार्यशैली में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित करने पर बल दिया। वह नई सम्मेलन में ‘शिक्षा में सुधार और मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय’ विषय पर संबोधन दे रहे थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सम्मेलन का शुभारंभ किया।

सम्मेलन में केंद्र और राज्यों के संबंधों, आम आदमी तक जनकल्याणकारी योजनाओं की पहुंच समेत कई मुद्दों पर विचार रखे। उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने भी शुभारंभ सत्र को संबोधित किया। शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि उच्च शिक्षा का विस्तार और इसकी गुणवत्ता में सुधार से आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

इससे उपलब्ध संसाधनों का बेहतर मूल्यांकन, तकनीकी प्रगति और समस्याओं के समाधान के नए मार्ग प्रशस्त होंगे। उन्होंने कहा कि देश का जनसांख्यिकीय वर्गीकरण विकास में और ज्यादा योगदान देगा जब शिक्षा तंत्र और पढ़ाने के तरीकों में उचित बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लगभग हर सैद्धांतिक पहलू के साथ कुछ व्यावहारिक कार्य भी होना चाहिए और यह उन शिक्षाविदों द्वारा किया जा सकता है, जो शिक्षार्थी के मनोविज्ञान और सीखने की आवश्यकता से भली-भांति वाकिफ हैं।

राज्यपाल ने उच्च शिक्षा को सामाजिक रूप से प्रासंगिक बनाने के लिए सामाजिक आवश्यकताओं के साथ महत्वपूर्ण जुड़ाव पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आम लोगों को विकास और बेहतर संचार के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के समय काउंसलिंग की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन और परीक्षा के तरीकों में बदलाव किया जाना चाहिए, ताकि विद्यार्थियों का निरंतर आकलन किया जा सके।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क की व्यवस्था के तहत रैंकिंग के लिए संसाधन आवंटन, शोध और हितधारकों की धारणा आदि जैसे मापदंडों को ध्यान में रखा गया है। सभी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय रैंकिंग फ्रेमवर्क में भाग नहीं ले रहे हैं, जबकि यह अनिवार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग कम है, उन्हें भी किसी न किसी व्यवस्था के माध्यम से सहायता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने शिक्षण संस्थानों को संख्याबल की बजाय गुणात्मक शिक्षा पर ध्यान देने की सलाह दी।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें


[web_stories title="false" view="grid", circle_size="20", number_of_stories= "7"]