पूर्व चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ भी यही स्थिति थी
HNN/ नाहन
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के साथ हुई चर्चा के बाद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल को भाजपा प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
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वही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर प्रदेश चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं। हालांकि डॉ राजीव बिंदल एक बेहतर मैनेजमेंट बनाने में माहिर माने जाते हैं मगर राजनीतिक गलियारे में चर्चा कुछ और ही चल रही है।
डॉ राजीव बिंदल को 2022 के चुनावों के मद्देनजर चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया जाना कहीं कोई बड़ी साजिश है या फिर उनको एक बार फिर इस्तेमाल किया जाने की तैयारी है। सवाल यह भी उठता है कि संगठन और सरकार में प्रदेश भाजपा के सबसे तेज तर्रार माने जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को सरकार के होते हुए हाशिए पर रखा गया और फिर अब अचानक यह मेहरबानी क्यों?
डॉक्टर बिंदल ने भी छाती पर पत्थर रखते हुए अध्यक्ष पद के इस्तीफे के बाद पूरा वक्त अपना विधानसभा क्षेत्र में लगा दिया। नाहन विधानसभा क्षेत्र की जनता के दिल में अपनी विशिष्ट पहचान बनाते हुए हर दिल अजीज भी बन गए।
विधानसभा क्षेत्र में जमकर विकास करवाया। यही नहीं राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष के नाहन दौरे को भी सफल बनाने में कामयाबी हासिल की। मगर ऐन वक्त पर चुनाव से पहले जहां उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में 2022 की रणनीतियां तैयार करनी थी मगर अब उन्हें पूरे प्रदेश में भागदौड़ करनी होगी।
अपने विधानसभा क्षेत्र में जाहिर है वह बहुत कम समय लगा पाएंगे। अब यदि थोड़ा फ्लैशबैक जाया जाए तो यही स्थिति पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ थी। जहां उन्हें अधिकतर समय अपने विधानसभा क्षेत्र में लगाना चाहिए था प्रोफेसर धूमल पूरे प्रदेश भर में घूमते रहे। जिसके चलते उन्हें अपने ही विधानसभा क्षेत्र में हार का मुंह देखना पड़ा था।
सवाल यह भी उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि नाहन के लिए कुछ और रणनीति तैयार की जा रही हो कहा नहीं जा सकता। चुनावी दौर है प्रदेश में संगठन मंत्री भी हैं प्रदेश अध्यक्ष भी हैं यह जिम्मेवारी उन्हें भी दी जा सकती थी।
मगर यहां यह भी जान लेना जरूरी है नाहन विधानसभा क्षेत्र में भाजपा जिस मर्जी प्रत्याशी को खड़ा कर ले जनता यहां भाजपा को नहीं बिंदल को पहली पसंद मानती है।
उधर डॉक्टर बिंदल को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कॉन्ग्रेस के चेहरे कुटिल हंसी भी देखी जा सकती है। अब यदि इसे ईनाम के तौर पर देखा जाए तो इसमें भी कोई शक नहीं कि प्रदेश में अभी भी वही संगठन चल रहा है जिसका गठन डॉ बिंदल ने अध्यक्ष रहते किया था।
कुछ थोड़ा बहुत परिवर्तन भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने जरूर किया है मगर गुटबाजी अभी भी बरकरार है।
बिंदल की एंट्री के बाद कई चेहरों पर मायूसी भी छा गई है जाहिर है रणनीति के माहिर डॉक्टर साहब अर्की और सोलन में उपचुनाव और निगम के चुनाव में हार का कारण बनने वालों को सबक भी सिखा सकते हैं।
अब यदि बात की जाए उस घटनाक्रम की तो इस बात की खुद-ब-खुद पुष्टि भी होती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का जब सोलन के ब्रूवरी में स्वागत किया जाना था तो एक दिग्गज जो टिकट की दौड़ में माने जाते हैं वह खुशी में ज्यादा ही टल्ली हो गए थे। उन महाशय को एक भाजपा की दिग्गज महिला नेत्री के द्वारा खरी-खोटी भी सुनाई गई थी।
माहौल कुछ इस तरीके से बन गया था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गाड़ी से उतरे बगैर ही उपस्थित लोगों का अभिवादन स्वीकार किया और शिमला की ओर निकल गए।
सोलन को लेकर अब अटकलें यह भी लग रही है कि कथित दावेदार की दावेदारी पर अब अंकुश लगना तय है। ऐसे में बिंदल ऐसा चेहरा प्लॉट करवा सकते हैं जो कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है। इसमें भी कोई शक नहीं है कि बिंदल पूरे प्रदेश की नब्ज अच्छी तरह टटोलनी जानते हैं मगर सवाल यह उठता है कि वह अपने खुद के चुनाव के लिए किस तरह से मैनेजमेंट बना पाएंगे।
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