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राघव की मौत मामले में गुरु नानक मिशन स्कूल संदेह के दायरे में

Shailesh Saini | 29 नवंबर 2024 at 9:19 am

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Himachalnow / पांवटा साहिब

पिता बोले नहीं था राघव हृदय रोगी, मेरे बेटे की करी गई है हत्या

गुरु नानक मिशन ब्रांच सूरजपुर स्कूल प्रबंधन 12 साल के राघव सिंह कौलिस की बुधवार को हुई मौत के मामले में संदेह के दायरे में आ गया है।

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पिता सुरजीत सिंह ने कई गंभीर सवाल उठाते हुए स्कूल प्रबंधन को बेटे का हत्यारा करार दिया है।
पिता सुरजीत सिंह ने बताया कि उसका बेटा किसी दिल करोगी तो दूर वह किसी भी तरह की बीमारी से ग्रस्त नहीं था।

उन्होंने कहा कि बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन के द्वारा अपने दिए गए बयान में मृतक राघव को हृदय का रोगी बताया गया था। हैरान कर देने वाली बात तो यह भी है कि स्कूल प्रबंधन के द्वारा यह भी कहा गया था कि मृतक के परिजनों ने बताया था कि राघव हार्ट पेशेंट है।

मृतक राघव के पिता का कहना है कि ना तो उनके द्वारा ना उनके परिवार के किसी सदस्य के द्वारा यह कभी कहा गया कि उनका बेटा ह्रदय रोगी है। पिता सुरजीत सिंह का कहना है कि उसका बच्चा हेल्दी वेल्थी बिल्कुल तंदुरुस्त था।

सुरजीत सिंह का आरोप है कि स्कूल के शारीरिक शिक्षक के द्वारा राघव से खाना खाने के बाद ओवर रनिंग करवाई गई।
उन्होंने बताया कि यह बात सीसीटीवी से मिली फुटेज में भी साफ हो गया है कि उनका बेटा भागते भागते गिर गया था।

सुरजीत सिंह का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन के द्वारा बेटे की तबीयत बिगड़ने की बात कह कर उन्हें जुनेजा हॉस्पिटल सूरजपुर बुलाया गया।
पिता सुरजीत सिंह ने रोते हुए बताया कि जब वह जुनेजा अस्पताल पहुंचे तो वहां उन्हें बगैर किसी अन्य स्कूल प्रबंधन स्टाफ की अनुपस्थिति में बेटे की केवल लाश मिली।

सुरजीत सिंह का आरोप है कि मिशन स्कूल के द्वारा उन्हें हर तरीके से झूठ बोलकर अंधेरे में रखा गया। उन्होंने बताया कि अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए मृतक बेटे को हृदय का रोगी बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की गई।

यहां यह भी बता दें कि 12 वर्षीय राघव सिंह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। बेटे की अल्प आयु में हुई मौत को लेकर न केवल माता-पिता बल्कि पूरा क्षेत्र सदमे में है। परिजनों का तो यहां तक आरोप है कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस जांच भी संदेह और सवालों के घेरे में है।

सबसे बड़ा सवाल तो यह भी उठना है कि स्कूल प्रबंधन के द्वारा लंच के बाद बच्चों को क्यों दौड़ाया गया। पर आप जानकारी के अनुसार बच्चे के बेहोश होकर गिरने का समय डेढ़ से 2:00 बजे के बीच का है। यही नहीं लंच अथवा खाना खाने के बाद दौड़ाया जाना अथवा रेस लगाना हेल्थ एक्सपर्ट की राय में बिल्कुल प्रतिबंधित रहता है।

इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि अस्पताल में जब परिजनों के द्वारा डॉक्टर से पूछा गया कि उनके मृतक बेटे को अकेला कैसे रखा गया है। इस पर पिता ने हमें जानकारी देते हुए बताया कि डॉक्टर ने उन्हें बताया था कि बच्चा अस्पताल में ब्रौट डेट लाया गया था।

जबकि स्कूल प्रबंधन के द्वारा फोन करके पिता को बताया गया था कि उनके बेटे की तबीयत खराब है जिसे जुनेजा अस्पताल में एडमिट किया गया है।
मृतक के पिता सुरजीत सिंह व उनके परिजनों ने सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बेटे की स्कूल प्रबंधन के द्वारा हत्या की गई है।

उन्होंने सरकार व पुलिस प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि स्कूल प्रबंधन को पुलिस अथवा लोकल एडमिनिस्ट्रेशन बढ़ाने की कोशिश करता है तो वह इसको लेकर अनशन करने पर मजबूर होंगे।

यहां बताना जरूरी है कि राघव सिंह की उम्र 12 साल थी और वह गुरु नानक मिशन स्कूल शाखा सूरजपुर में 6th क्लास का छात्र था। बरहाल अब सवाल यह उठता है कि जिस तरीके से राघव की मौत को लेकर तथ्य सामने निकल कर आ रहे हैं उससे कहीं ना कहीं स्कूल की भूमिका पर सवालिया निशान लगाना भी लाजमी होगा।

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