बीएड की फर्जी डिग्रियां बेचकर युवाओं को धोखा देने के आरोप में न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
कांगड़ा।
मामला वर्ष 2001 से 2004 के बीच का है, जब आरोपी बोध राज, निवासी कैल (तहसील डलहौजी, जिला चंबा) ने युवाओं को लखनऊ विश्वविद्यालय के नाम पर बीएड की फर्जी डिग्रियां बेचकर लाखों रुपये की ठगी की थी। वह धर्मशाला में रहकर युवाओं को झांसे में लेता था और एडमिशन दिलाने का भरोसा दिलाकर नकली मार्कशीट्स व प्रमाणपत्र जारी करता था।
आठ मामलों में दोष सिद्ध, तीन साल की सजा सुनाई गई
अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश हकीकत ढांडा की अदालत ने बोध राज को दोष सिद्ध होने पर तीन साल की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि आरोपी ने आठ अलग-अलग मामलों में धोखाधड़ी और जालसाजी कर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया।
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बारह लाख से अधिक की ठगी, पांगी क्षेत्र के 50 से ज्यादा युवा प्रभावित
आरोपी ने विभिन्न राज्यों के अभ्यर्थियों से कुल 12.83 लाख रुपये की ठगी की थी, जिनमें से 50 से अधिक युवा चंबा जिले के पांगी क्षेत्र से थे। अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त जिला न्यायवादी गौरव कुमार ने साक्ष्य और गवाहों के आधार पर मजबूत पैरवी की, जिसके बाद अदालत ने यह सजा सुनाई।
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