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प्रदेश के एकमात्र महामंडलेश्वर ने बताया गुरु पूर्णिमा का महत्व

SAPNA THAKUR | 26 अप्रैल 2022 at 6:31 pm

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HNN/ नाहन

सतयुग कालीन भगवान परशुराम की जन्मस्थली श्री रेणुका जी तीर्थ धाम में इस बार गुरु पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जाएगी। इस बाबत जानकारी देते हुए परमहंस ब्रहम ऋषि महामंडलेश्वर स्वामी दयानंद भारती ने बताया कि इस बार गायत्री धाम में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 6 जुलाई से 13 जुलाई तक श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा।

श्री रेणुका जी गायत्री धाम में गुरु प्रवचनों के दौरान उन्होंने गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में भी एक बड़ा खुलासा किया है। महामंडलेश्वर ने बताया कि गुरु को व्यास रूप कहा गया है। उन्होंने वेदव्यास नाम का खुलासा करते हुए कहा कि इनका असली नाम कृष्ण द्वैपायन था। महामंडलेश्वर ने बताया कि इनका जन्म द्वीप में हुआ था और इनकी शक्ल काली थी इसलिए इन्हें कृष्ण कहा गया।

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उन्होंने बताया कि वेद व्यास के द्वारा ही वेदों को 4 विभागों में बांटा गया था।उन्होंने बताया कि कृष्ण जो आप आयन यानी वेदव्यास के द्वारा वेदों को चार भागों में बांटने के बाद उन्हें 18 पुराणों में संपादित किया गया था। इसी वजह से उनका नाम वेदव्यास रखा गया था। महामंडलेश्वर ने बताया कि जो व्यक्ति जिस गद्दी पर बैठकर वेद उच्चारण करता है उस गद्दी को व्यास माना जाता है।

उन्होंने गुरु के महत्व को समझाते हुए कहा कि सृष्टि की उत्पत्ति परमात्मा से होती है और परमात्मा की उत्पत्ति गुरु से होती है। उन्होंने बताया कि गुरु ही एकमात्र वह साधन है जो परमात्मा तक पहुंचाता है गुरु ही परमात्मा को बतलाता है। उन्होंने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि इसीलिए ही गुरु पूर्णिमा का पर्व आत्मा और परमात्मा के मिलन का बोध करता है।

आत्मा और परमात्मा के संबंधों को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। लिहाजा गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा का बड़ा महत्व माना गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार गुरु पूर्णिमा पर वैदिक मंत्रों के साथ पूजन होगा। 6 जुलाई से 13 जुलाई तक श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा।

बड़ी बात तो यह है कि इस बार इस तीर्थ स्थल पर आयोजित होने वाली भागवत को व्यास प्रकाशानंद के द्वारा सुनाया जाएगा। यही नहीं कथा के मध्यान में महामंडलेश्वर के द्वारा पर्वचनों का भी आयोजन किया जाएगा। बता दें कि परमहंस ब्रह्मर्षि महामंडलेश्वर स्वामी दयानंद भारती प्रदेश के एकमात्र महामंडलेश्वर हैं। महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा से संबंध रखते हैं।

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