6 सीपीएस की विधायकी पर संकट टला, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और इन्होंने करी थी पैरवी
Himachalnow/दिल्ली
हिमाचल प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 6 पूर्व मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की विधायकी पर संकट को दूर कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इन विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह का नोटिस दिया है। मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।
क्या है पूरा मामला…..
हिमाचल प्रदेश सरकार ने 6 विधायकों को सीपीएस बनाया था, जिनमें अर्की से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहडू से एमएल ब्राक्टा, दून से राम कुमार चौधरी और पालमपुर से आशीष कुमार शामिल हैं।
इन नियुक्तियों को बीजेपी और एक महिला ने हिमाचल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने 19 नवंबर को सीपीएस को हटाने के आदेश दिए थे, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।
क्या है संवैधानिक प्रावधान…
संविधान के अनुच्छेद 164(1) के तहत, किसी भी राज्य की विधानसभा में मंत्रियों की संख्या 15 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में 68 विधायक हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार में सीएम, डिप्टी सीएम सहित कुल 11 मंत्री हैं, जो 6 सीपीएस को मिलाकर 17 बनते हैं। इसी को तीन याचिकाओं में चुनौती दी गई थी। 13 नवंबर को कल्पना और बीजेपी के 11 विधायकों की याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया, जबकि पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेस संस्था की याचिका पर बीते बुधवार को अदालत ने आदेश दिए।
क्या है राजनीतिक मायने…
इस फैसले से हिमाचल प्रदेश सरकार को बड़ी राहत मिली है। 6 सीपीएस की विधायकी पर संकट टल गया है, जिससे सरकार की स्थिरता बनी रहेगी। इस फैसले से बीजेपी को भी झटका लगा है, जो इस मामले में अदालत में सरकार के खिलाफ खड़ी थी।