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प्रतिभा सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सुरेश कश्यप की सिरमौर में प्रतिष्ठा दांव पर

SAPNA THAKUR | 27 अप्रैल 2022 at 9:00 pm

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नाहन-पांवटा कांग्रेस के लिए बनेगी चुनौती, एक तरफ बिंदल तो दूसरी तरफ सुखराम

HNN/ नाहन

प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रतिभा सिंह को मिलने के बाद जिला सिरमौर के राजनीतिक समीकरण बदलने शुरू हो चुके हैं। एक ओर जहां श्री रेणुका जी के विधायक को वीरभद्र गुट का माना जाता है तो वही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू गुट के चेहरों पर भी ताजगी नजर आ रही है। जिला सिरमौर की पांचों सीटों का दारोमदार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप की प्रतिष्ठा के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसे में प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ-साथ जिला सिरमौर से हर्षवर्धन चौहान की कद नवाजी के बाद जिला सिरमौर कांग्रेस में अलग ही जोश नजर आ रहा है।

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मगर यहां कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती नाहन और पांवटा साहिब विधानसभा होगी। कांग्रेस के लिए पांवटा साहिब में सुखराम चौधरी जोकि सरकार में उर्जा मंत्री हैं तो वहीं नाहन विधानसभा क्षेत्र पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल बड़ी चुनौती साबित होंगे। मजे की बात तो यह भी है कि यह दोनों विधानसभा क्षेत्र पूर्व में रही कांग्रेस सरकार के समय विकास के मामले पर हाशिए पर रहे थे। दोनों विधानसभा क्षेत्र में संबंधित भाजपा विधायकों ने जमकर विकास का उत्पात मचाया है।

हर छोटी बड़ी योजनाओं को लेकर जनता के बीच मुख्यमंत्री की उपस्थिति दर्ज करवाई है। ऐसे में कांग्रेस को बड़ी चुनौती से भी गुजरना पड़ेगा। हालांकि नाहन में कांग्रेस का दमदार चेहरा सुक्खू गुट का माना जाता है तो वही पांवटा साहिब में कांग्रेसी कुनबा पूरी तरह से बिखरा हुआ है। पांवटा साहिब से ताल्लुक रखने वाले राष्ट्रीय कांग्रेस युवा नेता रहे मनीष ठाकुर पहले ही आम आदमी के हो चुके हैं। तो वही पूर्व कांग्रेस विधायक रहे किरनेश जंग के खिलाफ चार बड़े कांग्रेसी चेहरों ने जंग खोल रखी है। अब यदि पच्छाद विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो प्रतिभा सिंह के नाम की घोषणा के बाद जीआर मुसाफिर की एक बार फिर उम्मीदें परवान चढ रही है।

इस विधानसभा क्षेत्र में दो प्रमुख भाजपा नेताओं की वजह से भाजपा पूरी तरह से बैकफुट पर है। हालांकि इस विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक स्वच्छ छवि की मानी जाती है मगर दो दिग्गजों के बीच विधायक की राजनीतिक चेहरे की चमक विधानसभा क्षेत्र में अभी भी फीकी नजर आती है। इस विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेसी नेता जी आर मुसाफिर लगातार हारने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। हालांकि कांग्रेस के पास जिताऊ महिला उम्मीदवार भी है। मगर जीआर मुसाफिर की प्रबल इच्छाओं के आगे बीजेपी फिर से यहां बलवान बनी हुई है।

गिरी पार जनजाति क्षेत्र के दर्जे को लेकर भले ही भाजपा इसका श्रेय ले ले मगर श्री रेणुका जी तथा शिलाई विधानसभा क्षेत्र के दोनों कांग्रेसी दिग्गज भाजपा की गुत्थम गुत्था के चलते पूरी तरह से बैकफुट पर हैं। ऐसे में जहां सुरेश कश्यप के लिए अपना गृह क्षेत्र 3 विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनौती बनेगा तो वही कांग्रेस के लिए दो दिग्गजों के साथ भिड़ंत बड़ी चुनौती होगी। बड़ी बात तो यह है कि नए कांग्रेसी प्रदेश अध्यक्ष के बाद जिला में कांग्रेस एकजुट होने के संकेत दे रही है तो वहीं भाजपा में अभी भी बिखराव की स्थिति बनी हुई है।

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