पच्छाद की राजनीति में मिल रहा आपदा का इशारा , तो क्या हो सकता है ऐसा भी..
HNN / पच्छाद
कल मुख्यमंत्री पच्छाद के राजगढ़ ब्लॉक के पझौता ग्रामीण क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री के आने से पहले राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाएं परवान चढ़ रही हैं। एक और जहां कम समय में ही विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रिय हुई भाजपा विधायक रीना कश्यप आज भी लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। बावजूद इसके उनकी राजनीति पर पीपल और बरगद की छाया भारी पड़ रही है। इसकी दो बड़ी वजह सामने आई है, इसमें पहली सबसे बड़ी वजह बीते साढ़े 4 वर्षों में कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की अनदेखी मानी जा रही है। दूसरी वजह बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बावजूद सड़कों आदि की दयनीय स्थिति मानी जा रही है।
हालांकि दूसरी ओर जहां दयाल प्यारी को लेकर भाजपा खेमा सहमा हुआ है वही जीआर मुसाफिर के टिकट को लेकर मच रहा घमासान भाजपा की राह भी आसान करता है। अब यदि भाजपा की ओर से अटकलों की बात की जाए, तो टिकट को लेकर रीना कश्यप के अलावा बीडीसी मेंबर चमन और भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता माने जाने वाले बलदेव का नाम चर्चा में सुना जा रहा है। इनमें यदि चमन कश्यप के सिर पर प्रदेश अध्यक्ष का हाथ माना जाए, तो बलदेव के साथ भाजपा का कार्यकर्ता कंधे से कंधा मिला कर खड़ा नजर आता है।
यहां यह भी बता दें कि बाय इलेक्शन में रीना कश्यप के नाम से पहले बलदेव कश्यप का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा था। बलदेव के नाम के बाद भाजपा मंडल व कार्यकर्ताओं में काफी खुशी भी नजर आई थी। मगर अचानक बदले समीकरणों के बाद रीना कश्यप का नाम सामने आ गया था। पच्छाद भाजपा में एक ओर बड़ी चर्चा इन दिनों चल रही है। जिसमें कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन्होंने पार्टी को अपने खून पसीने के साथ रात दिन मेहनत कर सींचा था वह आज सबसे बड़ी अनदेखी का शिकार है।
तो वही जिन्होंने संगठन के लिए कोई मेहनत नहीं करी और आते ही सीधे सर्वे सर्वा बन गए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि महत्वपूर्ण पद मिलने के बाद उन्हें भी उम्मीद थी की सरकार में रहते उन्हें अधिमान के साथ स्वाभिमान भी मिलेगा। इस अनदेखी को लेकर पंचायती राज चुनाव में भाजपा परिणाम भी देख चुकी है। सर्वे सर्वा के अपने पंचायत क्षेत्र में कांग्रेस हावी हो गई। विधानसभा क्षेत्र में सड़कों की सबसे दयनीय हालत है। यहां तक की लोगों की ट्रांसफर आदि में भी सिटिंग विधायक की जगह दिग्गजों को अधिमान मिलता है।
बावजूद इसके रीना कश्यप जनता दरबार में लगातार बनी रहती है। संभावना तो यह भी जताई जा रही है कि यदि इस बार रीना कश्यप जीत जाती है और प्रदेश में मिशन रिपीट होता है तो सिरमौर से महिला को मंत्रिमंडल में शामिल भी किया जा सकता है। बस एक इसी आशा पर ना केवल जनता बल्कि नाराज कार्यकर्ता भी खुश नजर आता है। अब यदि भाजपा इस विधानसभा क्षेत्र के लिए किसी पुरुष को मैदान में उतारती है तो बलदेव कश्यप की दावेदारी बड़ी सशक्त मानी जा सकती है। बलदेव कश्यप हर लिहाज से इस विधानसभा क्षेत्र के लिए एक बैलेंस कैंडिडेट भी माना जा सकता है।
ऐसे में यदि भाजपा किसी पुरुष को इस बार मैदान में उतारती है तो केवल बलदेव कश्यप ही एक ऐसा चेहरा है जिस पर संभवता दयाल प्यारी के साथ जुड़ा भाजपा का साइलेंट ग्रुप पाला बदल सकता है। संभावना तो यह भी हो सकती है कि यदि बलदेव कश्यप को इस बार इग्नोर किया जाता है तो वह आजाद तौर पर भी मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि हम इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं मगर ऐसी चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में सुनते हैं। वही मधेना गांव के रहने वाले चमन जो कि बीडीसी मेंबर भी हैं उनके नाम की चर्चा भी टिकट को लेकर चली हुई है। यहां यह भी बता दें कि इस विधानसभा क्षेत्र में सरांहा के अंतर्गत 34 पंचायतें आती हैं जबकि राजगढ़ ब्लॉक के अंतर्गत 33 पंचायतें आती हैं।
पच्छाद ब्लॉक के अंतर्गत दीद घलूत, शीना, लाल टिक्कर, बागधन, नेरी नावण, सराहां, सुरला जनोट आदि पंचायतों में दयाल प्यारी मजबूत पकड़ बना चुकी है। इन पंचायतों में बलदेव कश्यप भाजपा की ओर से एक अच्छे सेंध मार साबित हो सकते हैं। तो वही राजगढ़ ब्लाक के अंतर्गत थैन बसोतलरी,कोठया जाजर धनच मानवा, डिब्बर और डिम्बर, टाली भु
बरहाल, राज्य स्तरीय 15 अगस्त का कार्यक्रम और पझौता के बाद बावन द्वादशी मेले में मुख्यमंत्री के आने के बाद क्या समीकरण बदलते हैं यह देखना बाकी है। मगर मुख्यमंत्री यदि नवनी से आज होने वाले कार्यक्रम तक सड़क मार्ग से जाते तो संभवत उन्हें इस क्षेत्र का विकास भी नजर जरूर आता। क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में यह भी चर्चा अब खास हो रही है कि जो यहां के बड़े नेता थे अब वे सड़कों पर नहीं आसमान में ज्यादा उड़ते हैं।