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पर्वतीय राज्यों की आर्थिक मजबूती के लिए केंद्र बनाए विशेष नीति, हिमाचल को मिले विशेष वित्तीय अधिकार : मुकेश अग्निहोत्री

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Himachalnow / शिमला

‘समृद्ध हिमाचल 2045’ संगोष्ठी में बोले उप-मुख्यमंत्री, राज्य की भौगोलिक चुनौतियों पर केंद्र को देना चाहिए ध्यान

इंदिरा गांधी के निर्णय ने हिमाचल को दी नई पहचान

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हिमाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल की भौगोलिक और आर्थिक चुनौतियों को समझते हुए इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया था। कठिन पहाड़ी परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने प्रदेश की जनता की भावनाओं का सम्मान किया। उप-मुख्यमंत्री शनिवार को शिमला स्थित डॉ. मनमोहन सिंह लोक प्रशासन संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी ‘समृद्ध हिमाचल 2045’ के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे।

दीर्घकालिक विकास योजनाओं पर किया गया विचार-विमर्श

इस विचार मंथन कार्यक्रम के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के सतत आर्थिक विकास के लिए 20 वर्षों की रणनीतिक योजना तैयार करने पर चर्चा की गई। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि संगोष्ठी के जरिए ऐसे समाधान सामने लाए जाएंगे जो प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों और वक्ताओं के सुझावों को राज्य की नीति निर्माण प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।

राज्यों की तुलना में हिमाचल के लिए हो अलग मापदंड

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल की तुलना बड़े राज्यों जैसे दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से नहीं की जानी चाहिए क्योंकि उनके पास बड़े उद्योगों और राजस्व के अनेक स्रोत हैं। जबकि हिमाचल के संसाधन सीमित हैं, ऐसे में यदि केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करना है, तो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए विशेष वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।

केंद्र की योजनाओं में राज्य को मिले निर्णायक अधिकार

उन्होंने मांग की कि राज्य में कौन सी विद्युत परियोजना लगेगी, सुरंग कहां बनेगी, रेलमार्ग किस दिशा में जाएगा और किसे आवास योजनाओं का लाभ मिलेगा, इसका निर्णय लेने का अधिकार हिमाचल सरकार के पास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं, उन्हें राज्य के हितों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से हो रही आर्थिक हानि की भरपाई जरूरी

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल की वन संपदा, नदियां और हिमनद पूरे देश को जल संकट से बचा रहे हैं, लेकिन इसके बदले राज्य को कोई आर्थिक मुआवजा नहीं दिया जाता। उन्होंने चेताया कि यदि हिमनद तेजी से पिघलते रहे तो देश की प्रमुख नदियां सूख सकती हैं। हिमाचल को अपने जल संसाधनों का न्यायोचित हिस्सा प्राप्त करने के लिए आज भी न्यायालयों का सहारा लेना पड़ता है।

हिमाचल ने मेहनत और शिक्षा से रचा विकास का इतिहास

उन्होंने कहा कि प्रदेश की पिछली पीढ़ियों ने जिन परिस्थितियों में जीवन शुरू किया, उनकी तुलना में आज हिमाचल के लोग शिक्षा और कार्यकुशलता के बल पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं। हिमाचल ने राज्य बनने के बाद निरंतर प्रगति की है और यहां के लोग मेहनती और ईमानदार नागरिकों के रूप में जाने जाते हैं।

हिमाचल में स्थापित हो चुके हैं उच्च स्तरीय संस्थान

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आज हिमाचल में AIIMS, PGI, NIT, IIM, IIIT, IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थान कार्यरत हैं, जो राज्य की उपलब्धियों का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल को समृद्ध बनाने की दिशा में यह संगोष्ठी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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