नाहन के त्रिलोकपुर क्षेत्र से जुड़े दर्जनों किसानों ने गौरव संस्था अध्यक्ष और एक कथित मीडिया कर्मी के खिलाफ शनिवार को डीएफओ कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी किसानों ने इन लोगों को ब्लैकमेलर करार देते हुए अवैध कटान के नाम पर जमीन हड़पने की साजिश का आरोप लगाया।
नाहन
किसानों ने स्पष्ट किया कि यह मामला न्यायालय में लंबित है और कुछ पेड़ों की कटाई के लिए उन्हें वैधानिक अनुमति प्राप्त है। 5000 पेड़ जलाने के आरोप को किसानों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया।
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प्रदर्शन कर किसानों ने जताया आक्रोश, वन विभाग को सौंपी शिकायत
विकास खंड नाहन की ग्राम पंचायत त्रिलोकपुर के किसानों और ज़मींदारों का गुस्सा शनिवार को जिला मुख्यालय नाहन में फूट पड़ा। शनिवार दोपहर, ‘गौरव संस्था’ के अध्यक्ष समेत एक कथित मीडिया कर्मी के खिलाफ डीएफओ कार्यालय के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किया गया और जमकर नारेबाजी हुई।

‘ब्लैकमेलर’ करार देते हुए लगाए गंभीर आरोप
किसानों ने इन व्यक्तियों को ‘ब्लैकमेलर’ करार देते हुए उन पर ‘अवैध कटान’ के नाम पर बेवजह परेशान करने और जमीन हड़पने का सुनियोजित षड्यंत्र रचने के गंभीर आरोप लगाए हैं। वन विभाग को लिखित शिकायत सौंपते हुए किसानों ने सख्त कार्रवाई की मांग की और चेताया कि अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जिला ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों के किसान संगठनों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन करेंगे।
न्यायालय में विचाराधीन मामला, फिर भी बनाया जा रहा दबाव
त्रिलोकपुर के स्थानीय निवासी मेहर सिंह, मामराज, जगदीश सिंह, जितेंद्र, नाटू राम, रघुबीर सिंह, जय सिंह, विजय पाल, रतन, विक्रम सिंह, करण सिंह समेत दो दर्जन से अधिक किसानों ने वन विभाग को सौंपी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनकी पैतृक भूमि से कुछ पेड़ों के कटान का मामला पहले से ही न्यायालय में विचाराधीन है। इसके बावजूद, ये लोग इस मामले को बेवजह तूल दे रहे हैं और किसानों पर अनुचित दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि यह सब एक बड़ी साजिश के तहत किया जा रहा है।
‘5000 पेड़ जलाने’ के आरोप को बताया मनगढ़ंत
किसानों ने बताया कि हाल ही में न्यायालय के आदेश पर वन विभाग की टीम ने इन्हीं व्यक्तियों को साथ लेकर मौके का मुआयना किया था, जहाँ सिर्फ 20 से 25 पेड़ों के निशान ही मिले। ‘5000 पेड़ जलाने’ जैसे मनगढ़ंत आरोपों को किसानों ने सिरे से नकारते हुए कहा कि ‘जंगल में आग लगाने’ जैसी झूठी बातों का हवाला देकर किसानों को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
विधिवत अनुमति से कटान, किसानों ने उठाए सवाल
किसानों का दावा है कि उन्होंने सरकार से मिली विधिवत अनुमति के बाद ही अपनी ‘मलकियत’ भूमि से पेड़ों का कटान किया है, जो पूरी तरह से वैध है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या किसान अपनी ज़मीन के पेड़ भी नहीं कटवा सकता, जिसकी बाकायदा मंजूरी मिली हो।”
न्यायालय की अवमानना और भू-माफिया की सक्रियता का आरोप
प्रदर्शनकारी किसानों ने यह भी सवाल उठाया कि न्यायालय में विचाराधीन मामले को बार-बार मीडिया में उछालना नियमों के खिलाफ और न्यायालय की सीधी अवमानना है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब मौके पर कोई अवैध कटान नहीं मिला, तो ये व्यक्ति अब किसानों के साथ ‘बैठकर फैसला’ करने की बात कह रहे हैं और बैठक का स्थान भी खुद तय कर रहे हैं। किसानों ने स्पष्ट किया कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है और उसका जो भी फैसला आएगा, वह उन्हें स्वीकार होगा।
कंडईवाला-त्रिलोकपुर सड़क के नाम पर भू-माफिया की घुसपैठ
किसानों ने एक और बड़ा चौंकाने वाला आरोप लगाते हुए कहा कि प्रस्तावित कंडईवाला-त्रिलोकपुर सड़क के निर्माण को लेकर क्षेत्र में भू-माफिया भी सक्रिय हो गया है। ये प्रॉपर्टी डीलर किसानों को डरा-धमकाकर उनकी ज़मीनों की खरीद-फरोख्त का दबाव बना रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनकी ओर से इस ‘जंगल-झाड़ी’ मामले में कोई शिकायत नहीं है, बल्कि उन्हें बेवजह फंसाया जा रहा है। प्रतिनिधि मंडल ने वन विभाग के साथ-साथ न्यायालय से भी इस मामले में सख्त कार्रवाई की गुहार लगाई है।
डीएफओ बोले – न्यायालय में मामला लंबित, नियमों के अनुसार होगी कार्रवाई
इस पूरे मामले पर डीएफओ नाहन अवनी भूषण राय ने किसानों की तरफ से शिकायत मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है और किसानों की मिली शिकायत के आधार पर नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने नाहन में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिस पर आगे की कार्रवाई पर सबकी नज़रें टिकी हैं।
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