HNN / पांवटा
पांवटा साहिब के अंतर्गत डोबरी सालवाला पंचायत में हर वर्ष लगने वाला नाग देवता मेला इस बार भी दशहरे के बाद बड़े धूमधाम से शुरू हो गया है। मेले में पांवटा क्षेत्र के साथ-साथ रेणुका, शिलाई व उत्तराखंड के जौनसार से लोग अपनी फसल का कुछ हिस्सा नजराने के रूप में नाग देवता के मंदिर में अर्पित करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
राजा की पुत्रवधु की कोख से लिया था नाग देवता ने जन्म
स्थानीय लोगों की मानें तो सिरमौर के राजा की पुत्रवधु जब अपने मायके जोंसार से हिमाचल की ओर आ रही थी तो नसेर नामक स्थान पर उसने 2 बच्चों को जन्म दिया, जिसमें से एक पुत्र तथा दूसरे बच्चे ने नाग देवता के रूप में जन्म लिया। वह नाग देवता उसी समय इसी जगह पर धरती में समा गए तब से यहां पर नाग देवता के मंदिर की स्थापना की गई।
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तीन दिन तक चलता है मेला
यहां हर वर्ष लोग अपनी फसल का कुछ हिस्सा नजराने के रूप में चढ़ाते हैं और नाग देवता से सुख-शांति की मनोकामना करते हैं। लोगों का कहना है कि जो लोग यहां सच्चे मन से आते हैं उन्हें नाग देवता दर्शन भी देते हैं। नाग देवता मेला 3 दिन तक चलता है और मेले के अंतिम दिन यहां कुश्ती का आयोजन किया जाता है।
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