बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय पलटा, पीड़ित को मिलेगा मुआवजा
हिमाचल नाऊ न्यूज़, नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि कोई कर्मचारी ड्यूटी पर जाते या लौटते समय किसी दुर्घटना का शिकार होता है, तो उसे भी ‘कार्यस्थल दुर्घटना’ माना जाएगा।
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यह फैसला न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति कल्पथी वेंकटरमण विश्वनाथन की पीठ ने सुनाया है।अदालत ने कहा कि अब यह मानना सही नहीं है कि कर्मचारी को मिलने वाली सुरक्षा केवल कार्यस्थल तक ही सीमित है।
यह निर्णय ‘कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923’ की धारा 3 के तहत आता है, बशर्ते दुर्घटना का नौकरी से सीधा संबंध साबित हो सके।बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला पलटायह ऐतिहासिक फैसला 2011 के बॉम्बे हाईकोर्ट के उस निर्णय को पलटता है, जिसमें एक शुगर मिल के वॉचमैन की ड्यूटी पर जाते समय सड़क दुर्घटना में हुई मौत को मुआवजा योग्य नहीं माना गया था।
मृतक की ड्यूटी सुबह 3 बजे से 11 बजे तक थी और वह कार्यस्थल से 5 किलोमीटर पहले ही हादसे का शिकार हो गया था।पहले, लेबर कमिश्नर और सिविल जज ने मृतक के परिवार को 3,26,140 रुपए का मुआवजा और ब्याज देने का आदेश दिया था।
हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि हादसा कार्यस्थल पर नहीं हुआ था। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को गलत ठहराते हुए मृतक के परिवार के मुआवजे के हक को बहाल कर दिया है।यह निर्णय कार्य से संबंधित दुर्घटना मामलों में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है और कर्मचारियों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा।
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