57.11 लाख मतदाता 1 जून को देंगे अपना जवाब
HNN/नाहन
लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की प्रक्रिया में 1 जून शनिवार को प्रदेश की चार सीटों पर 57.11 हजार 969 लाख मतदाता वोट से अपना मत व्यक्त करेंगे। हालांकि राज्य निर्वाचन के द्वारा इस बार 80 फ़ीसदी मतदान का आकलन किया गया है। बावजूद इसके 65 से 70 फ़ीसदी के बीच टोटल वोट कास्ट होने की संभावना है। जिसकी सबसे बड़ी वजह इस बार पड़ रही भीषण गर्मी और उसके साथ मिशन लोटस जैसे कूटनीतिक कारण भी प्रमुख नजर आ रहे हैं।
प्रदेश में हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के प्रति जो श्रद्धा भाव प्रदेश की जनता में था उसमें भारी गिरावट आई है। यही बड़ी वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंडी और सिरमौर दौरे के बावजूद मोदी इंपैक्ट कुछ खास नजर नहीं आ रहा है। जबकि चुनाव के वक्त जनता ने जिस तरीके से राहुल को विदाउट कट पेस्ट मंच से सीधे सुना उसमें पप्पू पास भी हो गया है।
भारी तादात में सिरमौर की जनता ने राहुल गांधी को लाइव भाषण देते हुए सुना बावजूद इसके कथित भाजपाइयों के द्वारा उनके वीडियो एडिट कर उन्हें मजाकिया बनाया गया। प्रदेश में जहां सरकार के सामने लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव भी जीतना एक बड़ी चुनौती है, तो वहीं भाजपा के प्रत्याशी अपने कार्यों के दम पर वोट ना मांग कर मोदी के दम पर ही प्रचार कर रहे हैं।
भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल की प्रतिष्ठा तो दाव पर लगी ही है। साथ ही जेपी नड्डा के लिए पहले सरकार तो अब लोकसभा चुनाव बड़ी कड़ी चुनौती है। देखा जाए तो प्रदेश में दोनों राजनीतिक दलों के दिग्गजों की जितनी भी रैलियां हुई है उनसे कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है। रैली अथवा जनसभा का मतलब आम जनता की मौजूदगी होना जरूरी होता है।
मगर इन जनसभाओं में अपने-अपने दल के ही पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं जोड़कर जुट गई भीड़ असरदार साबित नहीं हो पा रही है। एक बात तो तय है कि प्रदेश का कर्मचारी वर्ग, अल्पसंख्यक, शेड्यूल कास्ट, गुर्जर आदि का वोट बैंक भाजपा के खाते में ना जाकर कांग्रेस के साथ जुड़ चुका है। किसान सहित कम्युनिस्ट पार्टी भी कांग्रेस के साथ जुड़ चुकी है। भाजपा के द्वारा फिर से किया गया प्रैक्टिकल खास तौर से मंडी सीट पर असरदार साबित नहीं हो पा रहा है।
इस लोकसभा सीट पर भाजपा के कई बड़े चेहरे भी अवसर की तलाश में थे, ऐसे में जयराम ठाकुर के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई साबित हो रही है। जयराम ठाकुर के द्वारा सेट को जीतने के लिए एड़ी चोटी तक का जोर लगाया जा चुका है। तो वहीं अनुराग ठाकुर के लिए उनके अपने ही दल के नेता खासतौर से विधायक होते हुए कांग्रेस का दामन छोड़ने वाले नेता तो किसी भी सूरत में अनुराग ठाकुर के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं।
शिमला पार्लियामेंट्री सीट की बात की जाए तो यहां कांग्रेस के पास रणनीति की भारी कमी नजर आ रही है। भाजपा ने मोदी की जनसभा करवाकर हल्का-फुल्का डैमेज कंट्रोल किया है। बावजूद इसके कांग्रेस की कमजोरी रणनीति का फायदा उठाते हुए सुरेश कश्यप मोदी के साथ-साथ उनके खुद के किए गए कारों और ईमानदार नेता की छवि के साथ रात दिन किया चुनाव प्रचार ने उनकी स्थिति को फिर से मजबूत कर दिया है।
ऐसा नहीं है कि भाजपा की रणनीति बहुत मजबूत है इसका उदाहरण भी प्रदेश में हुई प्रमुख जनसभा में मिल चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाहन में हुई जनसभा में जहां हर नेता को सुरेश कश्यप की मजबूती के लिए प्रयास करने चाहिए थे, मगर हर व्यक्ति इस जनसभा में अपना-अपना कद साबित करने की कोशिश कर रहा था। मौजूदा समय बदले राजनीतिक हालातों के चलते प्रदेश में अब तीन-एक का स्कोर नजर आ रहा है।