हिमाचल नाऊ न्यूज़ नाहन:
जिला सिरमौर के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, धौलाकुआं में आज विश्व बाँस दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर बाँस के आर्थिक और पर्यावरणीय फायदों पर जोर दिया गया और केंद्र में 20 से अधिक प्रजातियों के 1600 पौधे लगाए गए।
केंद्र की सह-निदेशक डा. प्रियंका ठाकुर ने बाँस को “ग्रीन गोल्ड” बताते हुए कहा कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और रोजगार के नए अवसर पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group
उन्होंने बताया कि बाँस का उपयोग फर्नीचर, हस्तशिल्प और कागज उद्योग से लेकर आधुनिक निर्माण सामग्री तक में लगातार बढ़ रहा है।डा. ठाकुर ने बाँस के कई उपयोगों की जानकारी देते हुए कहा कि फूलों की सजावट और बागवानी में भी यह काफी उपयोगी है।
यह फूलों की टोकरी, गमले और सजावटी संरचनाएं बनाने में काम आता है। उन्होंने यह भी बताया कि लैंडस्केपिंग में इसकी घनी हरियाली और आकर्षक तने बगीचों को सुंदर बनाते हैं।
इसे प्राकृतिक बाड़ और मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए भी लगाया जाता है।नेशनल बैम्बू मिशन के सहयोग से लगाए गए इन पौधों में डेंड्रोकैलैमस एस्पर, बैम्बुसा नूटन्स, ब्लैक बैम्बू जैसी कई प्रजातियां शामिल हैं। इस कार्यक्रम में डा. सिमरन कश्यप और अन्य स्टाफ सदस्य भी मौजूद रहे।
📢 लेटेस्ट न्यूज़
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें
ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!
Join WhatsApp Group





