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कांग्रेस हमारी मां है, अच्छे और बुरे वक्त में कैसे छोड़ दे साथ- विनय कुमार

PRIYANKA THAKUR | 18 अगस्त 2022 at 12:16 pm

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विनय बोलें-भाजपाइयों ने बड़ी कोशिशें करी, मगर हम उनमें से नहीं…

HNN / नाहन

2022 का सियासी पारा अब उबालकर आना शुरू हो चुका है। जमा-घटाव की राजनीति में जहां भाजपा के सामने मिशन रिपीट की चुनौती है। वही कांग्रेस अपने बिखरते कुनबे को संगठित करने में जुटी हुई है। कांगड़ा से कांग्रेस के विधायक पवन काजल और नालागढ़ के विधायक लखविंदर राणा का भाजपा में शामिल होना कहीं ना कहीं कांग्रेस को हल्का डैमेज करता है। तो वही मुख्यमंत्री के नजदीकी माने जाने वाले कांग्रेसी विधायक विनय कुमार की भाजपा में जाने की अटकलें पूरी तरह से खारिज हो गई है। श्री रेणुका जी के कांग्रेसी विधायक विनय कुमार ने बड़ा बयान दिया है।

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विनय कुमार का कहना है कि मैं और मेरा परिवार जन्मजात कांग्रेसी है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस मेरी मां है अगर मैं बुरे वक्त पर भी उसका साथ छोड़ दूं तो मुझसे बड़ा मतलब परस्त कौन हो सकता है। उन्होंने कहा कि भाजपा के दिग्गज लगातार मुझसे संपर्क कर रहे थे। मगर जिस पार्टी ने मुझे और मेरे परिवार को सब कुछ दिया है मैं उसका साथ किसी भी स्थिति और परिस्थिति में बिल्कुल नहीं छोडूंगा। विनय कुमार ने यह भी कहा कि रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का किला पूरी तरह से मजबूत है एकजुट है। जबकि भाजपा में N.B.R. टिकट पाने की इच्छा में आपस में ही उलझे हुए हैं। उधर, कांगड़ा की अगर बात की जाए पवन काजल के चले जाने के बाद भाजपा में बगावत भी बहुत आगे बढ़ गई है।

सूत्रों की माने तो सुरेंद्र काकू चौधरी क्षेत्र में दमदार नेता है और फिर से कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। माना तो यह भी जा रहा है कि यदि सुरेंद्र काकू कांग्रेस में जाते हैं तो संजय, वीरेंद्र , रमेश आदि एकजुट होकर पवन काजल पर हमलावर भी हो सकते हैं। उधर, लखविंदर राणा के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा से टिकट में दौड़ लगाने वाले काफी खफा भी नजर आ रहे हैं। ऐसे में लखविंदर को भाजपा से यदि टिकट मिलता है तो हरदीप सिंह मजबूत स्थिति के साथ बगावत का फायदा उठा सकते हैं। हालांकि कांग्रेस भी इससे पहले खीमी राम तथा पूर्व भाजपा विधायक की पत्नी ने भाजपा का साथ छोड़ दिया था तभी से भाजपा बिलबिला रही थी।

मगर एक बात तो यही जान लेनी जरूरी है कि प्रदेश का कर्मचारी तथा पेंशनर वर्ग सरकार से बुरी तरह खफा है और उधर किसान और बागवान भी आंदोलन पर उतरे हुए हैं। ऐसे में जोड़-तोड़ के समीकरण ना तो कांग्रेस के हित में जाते हैं और ना ही भाजपा के हित में बनते नजर आते हैं। इसकी बड़ी वजह जोड़-तोड़ के बाद बगावत हार का मुख्य कारण बनती है। ऐसा नहीं है कि नालागढ़ सीट पर लखविंदर राणा कमजोर हैं कुल वोट बैंक का करीब 10,000 से अधिक वह कैडर वोट रखते हैं। जबकि बाबा को लोग बाहरी व्यक्ति मानते हैं।

कुल मिलाकर अगर कहा जाए तो अब अगला अटैक कांग्रेस की ओर से भाजपा पर माना जा रहा है। संभवत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के गृह जिला से कांग्रेस भी एक बड़ा जोड़-तोड़ करने जा रही है। 20 तारीख को राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पांवटा साहिब और नाहन आ रहे हैं। नड्डा के दौरे के बाद जिला के राजनीतिक समीकरण भी तेजी से बदलेंगे।

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