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ऐतिहासिक धरोहर अमर बोर्डिंग हाउस के अस्तित्व पर अनदेखी का संकट

PRIYANKA THAKUR | 3 मई 2022 at 3:45 pm

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1913 में महाराजा सिरमौर अमरप्रकाश ने छात्रों के लिए बनाया था बॉयज हॉस्टल

HNN / नाहन

रियासत कालीन नाहन शहर की ऐतिहासिक धरोहरों के अस्तित्व पर अनदेखी की मार पड़नी शुरू हो चुकी है। प्रदेश का पहला 1913 में बना बॉयज हॉस्टल बुरी तरह से संकटग्रस्त हो चुका है। हॉस्टल की दीवारें दरारों में तब्दील हो चुकी है तो छतों व खिड़की, दरवाजों पर दीमक ने बुरी तरह कब्जा कर लिया है। हैरानी तो इस बात की है कि डॉ यशवंत सिंह परमार स्नातकोत्तर महाविद्यालय में इस ऐतिहासिक धरोहर को कबाड़ घर में तब्दील कर दिया है। हालांकि महाविद्यालय प्रबंधन के द्वारा इस धरोहर के बाहर कन्या छात्रावास का बोर्ड लगाया गया है मगर भवन में छात्राएं रहती ही नहीं है।

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छात्राओं के छात्रावास के लिए नई बिल्डिंग बनाई गई है। बावजूद इसके जहां इस भवन को जिला प्रशासन के द्वारा पर्यटन के नजरिए से विकसित किया जाना चाहिए था वही यह धरोहर बदहाली के आंसू बहाने पर मजबूर है। इस ऐतिहासिक धरोहर के एक भाग में हॉस्टल की वार्डन कब्जा जमाए बैठी है तो वही बाकी कमरों में पुराना सामान व कबाड़ आदि रखकर स्टोर बना दिया गया है। बता दें कि वर्ष 1913 में सिरमौर रियासत के महाराजा अमर प्रकाश के द्वारा शमशेर स्कूल में पढ़ने आने वाले दूरदराज के छात्रों के लिए यह हॉस्टल बनवाया गया था। आप यह जानकर भी हैरान हो जाएंगे कि 50 के दशक में यह डिग्री कॉलेज भी हुआ करता था।

उस दौरान इस कॉलेज का नाम श्री गुरु राम राय डिग्री कॉलेज था। जिसे देहरादून की गुरु राम राय संस्था संचालित किया करती थी। 50 के दशक के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा इस बिल्डिंग को अपने कब्जे में लेकर चौगान के समीप डिग्री कॉलेज बना दिया गया था। जिसके बाद इस ऐतिहासिक धरोहर में लंबे अरसे तक जवाहर नवोदय विद्यालय भी रहा। मौजूदा समय यह बोर्डिंग हाउस नाहन स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अधीन है। बता दें कि नाहन शहर रियासत कालीन शहर है। किसी समय देश विदेश का पर्यटक इस ऐतिहासिक शहर की बहुमूल्य धरोहरों को निहारने के लिए नाहन आता था।

जिसमें नाहन फाउंड्री रियासत कालीन बिरोजा फैक्ट्री, लिंटन मेमोरियल जिसे दिल्ली गेट कहा जाता है इसके अलावा विक्टोरिया जुबली डायमंड, नर्सिंग गर्ल्स हॉस्टल भवन, स्टोनहेज बिल्डिंग जिसमें डीसी ऑफिस चल रहा है, भगवान जगन्नाथ का मंदिर, फॉरेस्ट कंजरवेटर ऑफिस आदि शामिल है। चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि शहर की अधिकतर ऐतिहासिक धरोहरों पर सरकारी कब्जे हो रखे हैं। जिसके चलते ऐतिहासिक शहर अपनी मूल पहचान खो चुका है। यही बड़ी वजह है कि पर्यटक भी अब इस शहर से मुंह लगभग मोड़ ही चुके हैं। यहां यह भी बता दें कि स्थानीय विधायक डॉ राजीव बिंदल के द्वारा बहुत सारे ऐतिहासिक स्मारकों को संवारा भी गया है।

विरासतों के बाहर उनका इतिहास दर्ज किया गया है। मगर अभी भी दर्जनों ऐसी बहुमूल्य ऐतिहासिक धरोहर हैं जिनमें या तो सरकारी दफ्तर चल रहे हैं या सरकारी निवास बने हुए हैं। उधर राजघराने से जुड़े कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि धरोहरों का संरक्षण करने वाली ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन और प्रशासन के सहयोग से 13 -14 ऐसे मॉन्यूमेंट्स हैं जिन्हें हेरिटेज डिक्लेअर करवाना है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक धरोहर है जिसे पर्यटन के नजरिए से विकसित किया जाना चाहिए। वही डॉ यशवंत सिंह परमार स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉक्टर दिनेश भारद्वाज ने बताया कि इस भवन में कन्या छात्रावास नहीं है। उन्होंने बताया कि बिल्डिंग के अधिकतर कमरों में कॉलेज का सामान रखा हुआ है।

वही, उपायुक्त जिला सिरमौर आरके गौतम का कहना है कि ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण किया जाएगा। उन्होंने अमर बोर्डिंग हाउस की बाबत कहा कि बिल्डिंग को उसके मूल रूप में फिर तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए स्टीमेट बनाकर सरकार को भेजा जाएगा। उपायुक्त सिरमौर ने कहा कि प्रशासन यह भी देखेगा कि इस भवन में म्यूजियम बनाया जाए या फिर टूरिज्म का होटल। इसको लेकर योजना बनाई जाएगी।

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