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आर्मी सिविलियन विवाद में 4 सालों से बंद पड़े गेट को न्यायालय ने दिए खोलने के आदेश

HNN/ नाहन

दशकों से चल रहे आर्मी सिविलियन के दूसरे बड़े विवाद में बंद पड़े एमईएस मंदिर गेट को माननीय सीनियर सिविल जज/ सीजेएम सिरमौर की अदालत ने खोलने के आदेश दे दिए हैं। आम जनता की ओर से एमसी नाहन की फेवर में आए आदेशों के बाद लोगों ने बड़ी राहत की सांस ली है। हालांकि न्यायालय का फैसला एमसी के पक्ष में आया है मगर अभी तक आर्मी के द्वारा गेट खोला नहीं गया है। जिसको लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं अध्यक्ष बार एसोसिएशन नाहन जल्द एग्जीक्यूशन भी डालने जा रहे हैं। जिसके बाद 1 माह के भीतर पिछले 4 सालों से पूरी तरह से बंद इस गेट को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

क्या है पूरा मामला
असल में वर्ष 1990 में बस अड्डा के पीछे से एमईएस मंदिर से होकर केंट की ओर जाने वाले रास्ते पर गेट लगाया गया था। यह गेट आम जनता के लिए आने-जाने हेतु खुला रहता था। इसी दौरान आर्मी की ओर से बेसहारा पशुओं के आने जाने का बहाना बनाकर गेट को बंद कर दिया गया था। इस दौरान आर्मी ने यह कहा कि गेट सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम के 5:00 बजे तक खोला जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि गेट के साथ एक छोटा सा गेट बना कर आवाजाही बरकरार रखी जाएगी। यह सिलसिला 2002 तक चलता रहा।

इसी दौरान वर्ष 2002 में कर्नल मंनदाल के द्वारा सुरक्षा के कारणों का हवाला देते हुए गेट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि जिस गेट को बंद किया गया था उसका खाता खतौनी नंबर 270 /345 तथा खसरा नंबर 697 मोहल्ला कैंट शमशेरपुर एमसी के नाम था। गेट को पूरी तरह से बंद किए जाने के बाद करीब 80 से अधिक व्यापारियों और शमशेरपुर कैंट के लोगों के द्वारा विरोध प्रदर्शन भी किया गया। इसी दौरान अधिवक्ता वीरेंद्र पाल और स्वर्गीय अधिवक्ता देवेंद्र सिंह ने मामला एसडीएम कोर्ट नाहन में डाल दिया।

तत्कालीन एसडीएम के द्वारा 133 की कार्रवाई करते हुए बंद पड़े गेट को हटाने के आदेश दिए गए। वही आर्मी प्रशासन के द्वारा गेट को खोलते हुए खसरा नंबर 664 तथा 672 में से जोकि आर्मी के अंडर था वहां से पैदल पाथ देने की बात कही गई। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र पाल ने असहमति भी जाहिर की। मगर उस दौरान संघर्ष समिति में शामिल इंदर सिंह थापा, राम सिंह थापा, शीला जोशी आदि ने आर्मी के द्वारा दिए गए सुझाव पर पैदल रास्ते पर अपनी सहमति दे दी। उस दौरान डीसी नाहन में एमसी के सुपरविजन में पैदल रास्ते को खोल दिया।

वहीं वर्ष 2018 में आर्मी के द्वारा इस पैदल रास्ते वाले स्थान पर सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए ईसीएच अस्पताल खोले जाने का हवाला देते हुए दिए गए पैदल रास्ते को भी पूरी तरह बंद कर दिया गया। इस पूरे रास्ते को बंद किए जाने का सबसे बड़ा खामियाजा बस स्टैंड से पीछे बनी मार्केट के दुकानदारों को भुगतना पड़ा। इन दुकानदारों का व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया। वही आर्मी समशेरपुर कैंट तथा लोअर कैंट की ओर जाने वाले लोगों को भारी परेशानियां उठानी पड़ी।

इस बार वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र पाल ने अपने साथी अधिवक्ताओं के सहयोग से नाहन नगर परिषद को साथ ले मामला माननीय सीनियर सिविल जज सीजीएम सिरमौर की अदालत में डाल दिया। 2018 से एमसी एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड अदर के नाम से वाद न्यायालय में चलता रहा। नगर परिषद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम सी जैन तथा अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र पाल व अन्य अधिवक्ताओं की ओर से अधिवक्ता मनीष किशोर के द्वारा दी गई दलीलों से माननीय न्यायालय ने 22 नवंबर 2022 को अपना फैसला सुना दिया।

माननीय न्यायालय के द्वारा दिए गए आदेशों में कहा गया कि बंद पड़े गेट को तुरंत प्रभाव से खोला जाए। इस फैसले के बाद लंबे समय से आर्थिक मंदी झेल रहे दुकानदारों को अब उम्मीद की किरण बनती नजर आई है। वही जानकारी यह भी है, आर्मी इस फैसले के खिलाफ आगे अपील के लिए भी जा सकती है। अब यदि कानूनी दलील को माना जाए तो अपील के बाद भी फैसला आम जनता के फेवर में आना सुनिश्चित होगा।

उधर, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र पाल के द्वारा खबर की पुष्टि की गई है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं के द्वारा दमदार तरीके रखे गए। पक्ष के बाद माननीय न्यायालय ने संतुष्टि दिखाते हुए एमसी नाहन के फेवर में फैसला सुनाया है।


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