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आखिर कांग्रेसी खेमे में गुटबाजी की कूटनीति के पीछे कौन!

PRIYANKA THAKUR | 13 जून 2022 at 10:40 am

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क्या नगर परिषद के चुनावों से जुड़े हैं 2022 के तार

HNN / नाहन

नाहन विधानसभा क्षेत्र में भारी होते सोलंकी के पलड़े को लेकर आखिर कूटनीतिक दांव सफल हो गया है। असल में खेल कुछ दो बिल्लियां और बंदर वाला नजर आता है। सोलंकी और इकबाल की एवज में टिकट की दौड़ में एक और चेहरा शामिल हो गया है। जानकारी तो यह है कि इस चेहरे ने नगर परिषद के चुनावों में लगातार जीत हासिल की है। वैसे भी कथित चेहरा मौजूदा जिला अध्यक्ष का काफी करीबी माना जाता है। हालांकि जिला अध्यक्ष यह भी जानते हैं कि नाहन कांग्रेस से टिकट लेना उनके लिए घातक होगा।

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मगर अपने विश्वासपात्र पर दांव खेलना कहीं ना कहीं जिलाध्यक्ष को फायदा पहुंचाता हुआ नजर आता है। इस दौड़ में स्वर्गीय जीएस बाली के नजदीकी रहे युवा नेता का नाम भी शामिल है। मगर सर्किट हाउस से सैलानी तक उपजे विवाद में इस चेहरे का नाम कहीं नहीं है। हालांकि अभी ना केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा में भी कई हड़कंप मचने बाकी हैं बावजूद इसके नाहन सीट के घमासान पर भाजपा के चाणक्य अपने खेले गए दाव में कहीं ना कहीं सफल होते नजर आते हैं।

इस खेल को समझने के लिए अगर थोड़ा रिवाइंड बटन दबाकर देखा जाए तो कहीं ना कहीं नगर परिषद की एक सीट पर 2022 का कंप्रोमाइज नजर आता है। कंप्रोमाइज वाले वार्ड पर एक ही पार्टी के दो चेहरे उतारा जाना पहले ही बड़ा शक पैदा कर रहा था। हालांकि राजनीति में ऐसे दांव खेलने वालों को सफल कूटनीतिज्ञ कहा जाता है। मगर देखना यह भी होगा कि कई बार खेला गया दांव उल्टा भी पड़ जाता है।

चलिए अब थोड़ा सा राजनीति का चश्मा कालाअंब की ओर भी घूमाते हैं जिसकी भूमिका पूर्व विधानसभा चुनाव में तय हो चुकी थी। एक यही कालाअंब वार्ड ऐसा था जिसमें मौजूदा विधायक को बढ़त मिली और चुनाव जीता था। जाहिर सी बात है किसी अच्छे कांग्रेसी नेता के द्वारा ही 2022 की फील्डिंग तैयार की गई थी। जिसका फायदा सिटिंग एमएलए को मिला था। इसमें भी कोई शक नहीं है कि मौजूदा जिला अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान सिपाही हैं, मगर वह खुद नहीं समझ पाए कि खेल कहां से खेला जा रहा है।

जिला सिरमौर कांग्रेसी खेमे में अजय बहादुर, विधायक विनय कुमार व पूर्व विधायक किरनेश जंग एक तरफ है जबकि दूसरा खेमा सबसे मजबूत माना जा रहा है। पांवटा साहिब में किरनेश जंग का वोट बैंक लगभग सिमट चुका है। किसान और व्यापार मंडल पर मजबूत पकड़ रखने वाले अनिंदर सिंह नॉटी पहले ही पाला बदल चुके हैं। तो मनीष ठाकुर और जंग में कभी सुलाह हो नहीं पाई थी।

उधर, श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो भाजपा के लिए यह सीट जीतना वर्चस्व की जंग है। रेणुकाजी सीट पर जहां संगठन का एक पक्ष नारायण सिंह की लॉबिंग कर रहा है तो वही पार्टी सूत्रों की माने तो रूप सिंह जो कि पूर्व विधायक भी रहे हैं उन पर नजरें टिकाए हुए हैं। रूप सिंह की अगर बात की जाए तो उन्हें बलवीर चौहान का समर्थन मिल सकता है मगर नारायण सिंह के मैदान में उतरने पर रेणुका जी भाजपा तिकोने समीकरण में बंट जाएगी।

ऐसे में विनय कुमार के गढ़ में सेंधमारी करने के लिए भाजपा को मजबूत दाव ही खेलना पड़ेगा। काम और विकास के दम पर जनता के बीच में मौजूदा भाजपा विधायक ने मजबूत जगह बना ली है। मगर मौजूदा विधायक के जीत की राह में सबसे बड़ी अड़चन अपने ही कुछ चेहरों से है। सूत्रों की माने तो भाजपा के दूसरे गुट में नगर परिषद से लेकर ग्राम पंचायतों तक में विधायक को हराने की रणनीति तैयार की जा चुकी है। ऐसे में यदि सोलंकी को कांग्रेस फिर से मैदान में उतारती है तो कांटे की टक्कर में ऊंट किस करवट बैठ जाए कहा नहीं जा सकता।

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